Sunday 11 September 2016

GOD'S LAST JOURNEY TO EARTH (PART1- BIRTH OF A NEW RELIGION)


आज से हजारों साल पहले नासरत में गेब्रियल नामक एक स्वर्गदूत ने मरियम को दर्शन दिया और कहा कि तू पवित्र आत्मा की ओर से गर्भवती होगी और एक पुत्र जनेगी, ‍उसका नाम यीशु रखना। उस समय ‍मरियम यूसुफ की मंगेतर थी। यह खबर सुनते ही यूसुफ ने बदनामी के डर से मरियम को छोड़ने का मन बनाया। लेकिन उसके विचारों को जानकर उसी स्वर्गदूत ने यूसुफ से कहा कि मरियम पवित्र आत्मा की ओर से गर्भवती है उसे अपने यहां लाने से मत डर। स्वर्गदूत की बात मानकर यूसुफ मरियम को ब्याह कर अपने घर ले आया। उस समय नासरत रोमन साम्राज्य का हिस्सा था। ‍मरियम की गर्भावस्था के दौरान ही रोम राज्य की जनगणना का समय आ गया। तब नियमों के चलते यूसुफ भी अपनी पत्नी मरियम को लेकर नाम लिखवाने येरूशलम के बैतलहम नगर को चला गया। सराय में जगह न मिलने के कारण उन्होंने एक गौशाले में शरण ली। बैतलहम में ही मरियम के जनने के दिन पूरे हूए और उसने एक बालक को जन्म दिया और उस बालक को कपड़े में लपेटकर घास से बनी चरनी में लिटा दिया और उसका नाम यीशु रखा। पास के गड़रियों ने यह जानकर कि पास ही उद्धारकर्ता यीशु जन्मा है जाकर उनके दर्शन किए और उन्हें दण्डवत् किया।  यीशु के जन्म की सूचना पाकर पास देश के तीन ज्योतिषी भी येरूशलम पहुंचे। उन्हें एक तारे ने यीशु मसीह का पता बताया था। उन्होंने प्रभु के चरणों में गिर कर उनका यशोगान किया और अपने साथ लाए सोने, मुर व लोबान को यीशु मसीह के चरणों में अर्पित किया। इस तरह हुआ इसाई धर्म के संस्थापक महान यशु मसीह का जनम ठीक इसी तरह उनके जनम के कई वर्ष पूर्व हुआ था जनम महान गौतम बुद्धा का  गौतम बुद्ध का जनम 563 ईसा पूर्व  और मृत्यु: 483 ईसा पूर्व । इतिहास के सबसे प्रभावशाली महान एक महान व्यक्ति है तथा वे विश्व के प्राचीनतम धर्मों में से एक बौद्ध धर्म के प्रवर्तक एवं संस्थापक थे।  उनका जन्म ईसा पुर्व 563 में लुबिंनी, नेपाल में तथा महापरिनिर्वाण कुशिनगर, भारत में हुआ था। वे क्षत्रिय कुल के शाक्य राजा शुद्धोधन के घर राजकुमार के रूप में जन्में थे | सिद्धार्थ विवाहोपरांत एक मात्र प्रथम नवजात शिशु राहुल और पत्नी यशोधरा को त्यागकर संसार को जरा, मरण और दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग की तलाश में रात में राजपाठ छोड़कर जंगल चले गए। वर्षों की कठोर साधना के पश्चात बोध गया (बिहार) में बोधी वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ गौतम से गौतम बुद्ध बन गए। आज पुरे संसार में करीब  180 करोड़ लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी है और विश्व की आबादी का 25% हिस्सा है। ऐसे ही महान सिख धर्म अस्तित्व में आया , महान गुरू नानक  देव जी का जनम 15 अप्रैल 1469 को हुआ सिखों  के प्रथम गुरु  (आदि गुरु) हैं। इनके अनुयायी इन्हें गुरु नानक, गुरु नानक देव जी, बाबा नानक और नानकशाह नामों से संबोधित करते हैं। गुरु नानक अपने व्यक्तित्व में दार्शनिक, योगी, गृहस्थ, धर्मसुधारक, समाजसुधारक, कवि, देशभक्त और विश्वबंधु - सभी के गुण समेटे हुए थे।इनका जन्म  रावी नदी के किनारे स्थित  तलवंडी नामक गाँव में 15 अप्रैल, 1469 में  कार्तिकी पूर्णिमा को एक खत्रीकुल में हुआ था। इनके पिता का नाम कल्यानचंद या मेहता कालू जी था, माता का नाम तृप्ता देवी था। तलवंडी का नाम आगे चलकर नानक के नाम पर ननकाना पड़ गया। इनकी बहन का नाम नानकी था।बचपन से इनमें प्रखर बुद्धि के लक्षण दिखाई देने लगे थे। लड़कपन ही से ये सांसारिक विषयों से उदासीन रहा करते थे। पढ़ने लिखने में इनका मन नहीं लगा। ७-८ साल की उम्र में स्कूल छूट गया क्योंकि भगवत्प्रापति के संबंध में इनके प्रश्नों के आगे अध्यापक ने हार मान ली तथा वे इन्हें सम्मान घर छोड़ने आ गए। तत्पश्चात् सारा समय वे आध्यात्मिक चिंतन और सत्संग में व्यतीत करने लगे। बचपन के समय में कई चमत्कारिक घटनाएं घटी जिन्हें देखकर गाँव के लोग इन्हें दिव्य ऴ्यक्तित्व मानने लगे। बचपन के समय से ही इनमें श्रद्धा रखने वालों में इनकी बहन नानकी तथा गाँव के शासक राय बुलार प्रमुख थे।इनका विवाह सोलह वर्ष की अवस्था में  गुरदासपुर जिले के अंतर्गत लाखौकी नामक स्थान के रहनेवाले मूला की कन्या सुलक्खनी से हुआ था। ३२ वर्ष की अवस्था में इनके प्रथम पुत्र श्रीचंद का जन्म हुआ। चार वर्ष पीछे दूसरे पुत्र लखमीदास का जन्म हुआ। दोनों लड़कों के जन्म के उपरांत १५०७ में नानक अपने परिवार का भार अपने श्वसुर पर छोड़कर मरदाना, लहना, बाला और रामदास इन चार साथियों को लेकर तीर्थयात्रा के लिये निकल पडे़।नानक सर्वेश्वरवादी थे। मूर्तिपूजा को उन्होंने निरर्थक माना। रूढ़ियों और कुसंस्कारों के विरोध में वे सदैव तीखे रहे। ईश्वर का साक्षात्कार, उनके मतानुसार, बाह्य साधनों से नहीं वरन् आंतरिक साधना से संभव है। उनके दर्शन में वैराग्य तो है ही साथ ही उन्होंने तत्कालीन राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक स्थितियों पर भी नजर डाली है। संत साहित्य में नानक उन संतों की श्रेणी में हैं, जिन्होंने नारी को बड़प्पन दिया है।इनके उपदेश का सार यही होता था कि ईश्वर एक है उसकी उपासना हिंदू मुसलमान दोनों के लिये है। मूर्तिपुजा, बहुदेवोपासना को ये अनावश्यक कहते थे। हिंदु और मुसलमान दोनों पर इनके मत का प्रभाव पड़ता था। लोगों ने तत्कालीन इब्राहीम लोदी से इनकी शिकायत की और ये बहुत दिनों तक कैद रहे। अंत में पानीपत की लड़ाई में जब इब्राहीम हारा और बाबर के हाथ में राज्य गया तब इनका छुटकारा हुआ।महान धर्म संस्थापको में एक नाम आता है महान हज़रत मुहम्मद काहज़रत मुहम्मद  "मुहम्मद इब्न अब्दुल्लाह इब्न अब्दुल मुत्तलिब" का जन्म सन  ५७० ईसवी में हुआ था। इन्होंने  इस्लाम धर्म का प्रवर्तन किया। ये इस्लाम के सबसे महान नबी और आख़िरी सन्देशवाहक माने जाते हैं जिन को  अल्लाह ने फ़रिश्ते जिब्रईल द्वारा क़ुरआन का सन्देश' दिया था।  मुसलमान  इनके लिये परम आदर भाव रखते हैं। ये इस्लाम के आख़री ही नहीं बल्कि सबसे सफल संदेशवाहक भी माने जाते है। मुहम्मद वह श्ख़स हैं जिन्होने हमेशा सच बोला और सच का साथ दिया। सूची में एक महान नाम है मूसा का मूसा  यहूदी, इस्लाम और ईसाई धर्मों  में एक प्रमुख नबी (ईश्वरीय सन्देशवाहक) माने जाते हैं। ख़ास तौर पर वो यहूदी धर्म के संस्थापक और इस्लाम धर्म  के पैग़म्बर माने जाते हैं। कुरान और बाइबल में हज़रत मूसा की कहानी दी गयी है, जिसके मुताबिक मिस्र के फ़राओ के ज़माने में जन्मे मूसा यहूदी माता-पिता के की औलाद थे पर मौत के डर से उनको उनकी माँ ने नील नदी में बहा दिया। उनको फिर फ़राओ की पत्नी ने पाला और मूसा एक मिस्री राजकुमार बने। बाद में मूसा को मालूम हुआ कि वो यहूदी हैं और उनका यहूदी राष्ट्र (जिसको फरओ ने ग़ुलाम बना लिया था) अत्याचार सह रहा है। मूसा का एक पहाड़ पर परमेश्वर से साक्षात्कार हुआ और परमेश्वर की मदद से उन्होंने फ़राओ को हराकर यहूदियों को आज़ाद कराया और मिस्र से एक नयी भूमि इस्राइल पहुँचाया। इसके बाद मूसा ने इस्राइल को ईश्वर द्वारा मिले "दस आदेश" दिये जो आज भी यहूदी धर्म का प्रमुख स्तम्भ है।इतिहास में एक महान पात्र जो अक्सर मुझे प्रेरणा देता है वो है कृष्णा,कृष्ण हिन्दू धर्म में विष्णु के अवतार हैं।  सनातन धर्म के अनुसार भगवान विष्णु सर्वपापहारी पवित्र और समस्त मनुष्यों को भोग तथा मोक्ष प्रदान करने वाले प्रमुख देवता हैं। जब-जब इस पृथ्वी पर असुर एवं राक्षसों के पापों का आतंक व्याप्त होता है तब-तब भगवान विष्णु किसी न किसी रूप में अवतरित होकर पृथ्वी के भार को कम करते हैं। वैसे तो भगवान विष्णु ने अभी तक तेईस अवतारों को धारण किया। इन अवतारों में उनके सबसे महत्वपूर्ण अवतार श्रीराम और श्रीकृष्ण को ही माने जाते हैं। गौतम बुद्ध भी उनका ही एक अवतार हैं , श्री कृष्ण का जन्म  यदुवंशी  क्षत्रिय कुल में राजा वृष्णि के वंश में हुआ था ।
यह अवतार उन्होंने वैवस्वत मन्वन्तर के अट्ठाईसवें द्वापर में श्रीकृष्ण के रूप में देवकी के गर्भ से मथुरा के कारागर में लिया था। वास्तविकता तो यह थी इस समय चारों ओर पाप कृत्य हो रहे थे। धर्म नाम की कोई भी चीज नहीं रह गई थी। अतः धर्म को स्थापित करने के लिए श्रीकृष्ण अवतरित हुए थे। ब्रह्मा तथा शिव -प्रभृत्ति देवता जिनके चरणकमलों का ध्यान करते थे, ऐसे श्रीकृष्ण का गुणानुवाद अत्यंत पवित्र है। श्रीकृष्ण से ही प्रकृति उत्पन्न हुई। सम्पूर्ण प्राकृतिक पदार्थ, प्रकृति के कार्यकार्य किया उसे अपना महत्वपूर्ण कर्म समझा, अपने कार्य की सिद्धि के लिए उन्होंने साम-दाम-दंड-भेद सभी का उपयोग किया, क्योंकि उनके अवतीर्ण होने का मात्र एक उद्देश्य था कि इस पृथ्वी को पापियों से मुक्त किया जाए। अपने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उन्होंने जो भी उचित समझा वही किया। उन्होंने कर्मव्यवस्था को सर्वोपरि माना, कुरुक्षेत्र की रणभूमि में अर्जुन को कर्मज्ञान देते हुए उन्होंने गीता की रचना की जो कलिकाल में धर्म में सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है।धरती पर वक़्त के साथ साथ महान धर्म बने , उन्हें इंसानों ने अपनाया , ये धर्म इंसानों को इश्वर के करीब ले जाने का एक माध्यम थे , उन्हें एक जुट करने के लिए , प्रेम का प्रकाश फैलाने के लिए इन धर्मो को अस्तित्व में आना पड़ा , इश्वर के भेजे ये सभी दूत इन्होने बखूबी अपना काम किया , लोगो को सही रास्ते चलाया , पाप से दूर ले कर गये , उनके लिए लिखित ग्रन्थ छोड़ कर गये , जिसका स्मरण वो पूरी उम्र करते रहे , इश्वर ने किसी ना किसी रूप में  किसी ना किसी दूत के सहारे मानवता को नयी राह दिखाई है , इश्वर एक है , इश्वर एक उर्जा है जो हम सब में प्रवाहित होती है , इश्वर का धर्म एक है , हम सब एक धर्म के है , हमारे अन्दर कोई भी अंतर नहीं , इश्वर ने देखा वो सब देखा जो हिन्दू मुस्लिम सिख के भेदभाव से 1947  में हुआ , इश्वर ने यहूदियों पर होता अत्याचार देखा ,इश्वर ने गोरे और काले लोगो का भेदभाव देखा इश्वर ने पहला विश्व युद्ध देखा , वो दूसरा विश्व युद्ध देखा , कलिंगा की लड़ाई देखी , चीनी सुदानी लड़ाई देखी ,और यकीन मानो इश्वर ये सब देख कर बहुत दुःख में है , इश्वर को इंसान समझने की भूल ना करें , इश्वर एक महान ऊर्जा है , वोही उर्जा जो हम सब में प्रवाहित होती है , इश्वर की उदासी से अर्थ है नकारत्मक ऊर्जा का आना , विश्व ये ब्रहमांड ऊर्जासे ही बना है , उर्जा में जब नकारत्मकता आती है तो चीजों का सृजन होना बंद हो जाता है और जो गृह तारे सौर मंडल प्रजातियाँ ब्रहमांड में पाई जाती है उनका विनाश होना शुरू हो जाता है , इश्वर इन सभी घटनाओं से बेहद्द परेशान है , वो ब्रहमांड का दुबारा सृजन करना चाहता है , वो एक संतुलित भ्रहमांड चाहता है , इश्वर ने कल्पना की थी की वो एक माता पिता की भाँती अपने बच्चो को खुद अपने आप को संभालना सिखाएगा , और खुद दूर से उन्हें देखता रहेगा , उठते हुये , पर अब तो विपरित ही हो रहा है , इश्वर को ही इंसानों ने गिरने पर दोष देना शुरू कर दिया , इश्वर के बनाये नियमो से भी आगे जाना चाहता है इंसान , खुद की वास्तविकता से दूर जा रहा है इंसान , इसीलिए आज राज़ से पर्दा उठा ही देता हूँ , इश्वर अब ना ही किसी दूत को धरती पर भेजने वाला है , ना ही वो अब कोई अवतार लेगा , इश्वर का इरादा इस बार कुछ और ही है , वो अब खुद धरती पर आने वाला है , वो खुद धरती पर आएगा आसमा से आएगा ,अपने साथ उन सभी माहान अवतारों और उन सभी दूतो की आत्माओं की उर्जा साथ लाएगा , वो अकेला नहीं पूरा कारवां साथ ले कर आएगा , और खुद वो एक विशाल पालकी पर होगा जिस पालकी को एक कांच के गुम्बद से ढका गया होगा , उस गुम्बद से ऐसी तीखी और आँखें चोंधिया देने वाली रौशनी निकलेगी की पूरी धरती सूरज से भी अधिक प्रकाशित हो उठेगी , इंसानों का ज़मावड़ा लगेगा लोग देश विदेश से खिचे चले आयेंगे , सफेद कपडे धारण किये लाखो इश्वर के परम प्रिय उसके साथ होंगे वो पालकी पूरे विश्व का भ्रमण करेगी , उस पालकी को विश्व के सभी धर्मो के संस्थापको की आत्माओ ने घेर रखा होगा , आसमा में इन्द्रधनुष होंगे , नदिया , समुन्द्र ज्वालामुखी पेड़ पौधे सभी इश्वर के धरती के आने पर मचल उठेंगे , पक्षी जानवर सभी मनुष्य की उस भीड़ में शामिल हो जाएंगे , द्रिश्य देखने वाला होगा , बड़े से बड़ा आदमी , चाहे अमीर हो या कोई राष्ट्रपति या मुख्यमंत्री सब शीश झुका कर इश्वर का अभिनन्दन करेंगे , एक बड़ी सुखद आवाज़ की गूंज होगी , जो इश्वर की आवाज़ होगी जो लोगो को सन्देश देगी , लोगो से सीधा बात करेगी , आगे आगे हज़ारो सेवक होंगे जो उस पालकी से निकलते जल को एक चलते हुए वाहन में एकत्रित करेंगे और लोगो को प्रशाद की तरह उस जल का सेवन किया जाएगा , ये जल इश्वर का एक प्रशाद होगा जो मानवता का भविष्य बदल देगा , वो पालकी और सारा कारवा पूरा विश्व भ्रमण करेगा और एक एक इंसान के पास जाएगा.. इंसान एकजुट होकर इश्वर का स्वागत करेंगे , इश्वर का सन्देश जन जन तक पहुंचेगा
सन्देश में एक ही बात दोहराई जाएगी

1.        सभी मनुष्यों का आज से एक धर्म होगा
2.       सभी मनुष्य एक इश्वर की अराधना करेंगे
3.       इंसान खुद को एक आत्मा के रूप में जानेंगे
4.       कोई इंसान छोटा बड़ा नहीं होगा
5.       हर मनुष्य को रहने खाने ,सोने , पढने , प्रेम करने , और खुश रहने का अधिकार होगा
6.       हर मनुष्य बराबर काम करेगा
7.       पूरी धरती पर एक देश होगा
8.       पूरी धरती एक ही धर्म ग्रन्ध को मानेगी, जिसे सभी धर्मो के ग्रंथो से मिला कर बनाया जाएगा
9.       आने वाले समय में मनुष्य बाहरी दुनिया से मिलेगा , तो उसे एक जुट होना होगा
10.    कोई मनुष्य किसी मनुष्य के प्रति नीच भाव नहीं रखेगा ,प्रेम का प्रसार ही मुख्य कार्य होगा
एक नया मानव धर्म की स्थापना होगी और धरती पर शान्ति और प्रेम का प्रसार होगा.. वो जल जो इश्वर ने सभी एक एक इंसान को पिलाया वो जल क्या था , उसे पिलाने के पीछे इश्वर का क्या मकसद था वो आप जानेंगे इस कहानी के दुसरे हिस्से में ..

आपका अपना कवि

$andy poet
  

THE LOVE AGREEMENT

Hi friends, I want a little help from you. I have published a new book titled, "The love agreement" (एक प्रेम-समझौता).I am...

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