Wednesday, 24 May 2017

Lieserl Einstein ( 1902 – 1903 ) (Inventor of Time-Machine)

                                       

आपका अपना कवि आपके लिए लाया है एक अनसुनी , रहस्यमयी ,रोमांचक कहानी , ये एक काल्पनिक विज्ञान कहानी है , इस कहानी के पात्र बेशक असली हैं, मगर ये कहानी उन महान पात्रो की महानता को दर्शाने मात्र के लिए लिखी गयी है , ये कहानी है मेरे आदर्श विज्ञानिक महान एल्बर्ट आइंस्टाइन और मिलेवा मारिक की बेटी लीसेर्ल आइंस्टाइन पर आधारित , इतिहास के पन्नो में अगर आप लीसेर्ल आइंस्टाइन पर नज़र डाले तो , आपको मिलेगा की 1902 में जन्म लेने वाली लीसेर्ल का देहांत  1903 में ही हो जाता है , पर मेरा दिल कहता है ,इतिहास इससे भी रोचक हो सकता था .. एक काल्पनिक कहानी महान लीसेर्ल आइंस्टाइन की टाइम मशीन की खोज पर.. क्यूंकि मेरा दिल कहता है , समय यात्रा का रहस्य अपने अन्दर छुपाए आइंस्टाइन परिवार यूँ हमे अलविदा नहीं कह सकता... एक कल्पना जो हकीकत भी हो सकती है ... और मेरे मायने में समय के बारे में उन से ज्यादा शायद ही आज तक कोई जान पाया है... चलिए मेरे साथ समय की सैर पर... 

मिलेवा मारिक और एल्बर्ट आइंस्टाइन की  पहली संतान  लीसेर्ल आइंस्टाइन, जो इतिहास के पन्नो में से मानो कही गायब सी हो गयी..मैं समय यात्री हूँ , समय को समझता हूँ , जेसे वो समझती थी....महान भौतिक विज्ञानी एल्बर्ट आइंस्टाइन जिन्हें आज जीनियस का दर्जा दिया गया है , कई महान रहस्यों को उजागर करने वाले एल्बर्ट सचमुच दुनिया के सबसे बुद्धिमान इंसान थे , उनकी थ्योरी ऑफ़ रिलेटिविटी ने भौतिक विज्ञान की परिभाषा बदल कर रख दी .. उनकी अनगिनत खोजो की गणना करना मुमकिन नहीं .. मैं उस समय ज़्यूरिख पॉलिटेक्निक में लीसेर्ल के साथ भौतिक विज्ञान पढ़ रहा था..
मुझे लीसेर्ल पसंद थी.. वो अक्सर मुझे अपने पिता की खोजो के बारे में बताती थी .. हम एक साथ पढ़ते , एक साथ खाते, एक साथ आवारागर्दी करते और फिर लड़ते भी थे.. सब लोग हमसे जलते थे..
लीसेर्ल अक्सर मुझसे पूछती थी की , मैं उससे कितना प्यार करता हूँ .. मैं उसे कहता था की जितना ये ब्रह्माण्ड है उतना प्यार ....
भौतिक विज्ञान बहुत ही कमाल का विषय है , इसमें आप समय के साथ बहते हुए किसी रहस्यमयी दुनिया में पहुँच जाते हैं..
मैडम मिलेवा मारिक, लीसेर्ल की माँ उससे बेहद का प्यार करती थी ,सर एल्बर्ट अक्सर अपने काम में व्यस्त रहते थे , लीसेर्ल अपने पिता के साथ उनका हाथ बटाती थी ,सर एल्बर्ट ने  एक साल में चार पेपर पब्लिश किए , और उन सभी पेपर्स में मैडम मिलेवा और लीसेर्ल ने भी बराबर योगदान दिया,
जूलियस , डंकन , जॉर्डन ,हेक्टर और  लीसेर्ल सर एल्बर्ट के लेक्चर में सबसे ज्यादा दिलचस्पी दिखाते थे , उन्हें  भौतिक विज्ञान का नशा दिन पर दिन चड़ता जा रहा था..
13 जनवरी 1925 आज लीसेर्ल का तेइसवा जन्मदिन था..  हम सब सर एल्बर्ट के घर पर जश्न मना रहे थे.
मैडम मिलेवा ने लाल रंग का गाउन पहना था , लीसेर्ल  सफेद और नारंगी रंग की ड्रेस में थी . सर एल्बर्ट ने अपना वोही पुराना कोट और पतलून पहनी थी , ये उनकी पसंदीदा थी..
मैने सर एल्बर्ट से पूछा की , ‘समय क्या है सर “
उन्होंने बड़े ही खूबसूरत शब्दों में कहा , “ समय एक भ्रम है , ये देखने वाले की नजरो पर निर्भर करता है”
मैने पूछा की कल मैं नहा रहा था तो मेरा लोहे की तारो से बना हेयर ब्रश जो की मेरे बाथ टब में गिरा था मेरे पैर से टकरा गया  ,तो उसकी आवाज मुझे पानी में सामान्य से ज्यादा तेज़ सुनाई दी ऐसा क्यूँ ??
उनका जवाव था , “ ध्वनी की रफ़्तार हवा में कुछ और होती है , लोहे में कुछ और , और पानी में कुछ और , कभी दूर से आती रेलगाडी के आने से पहले पटरी पर कान लगा कर सुनना तुम्हे उसके पहियों के घर्षण से आती आवाज कई मील दूर से सुनाई दे जाएगी , ठीक उसी तरह पानी में आवाज और भी तेज़ बहती हैं , क्यूंकि पानी के कण पास पास होते हैं , जबकि हवा के कण दूर दूर..इसीलिए पानी में ध्वनी तरंग जल्दी जल्दी एक कण से दुसरे कण में प्रवाहित होती है...
लीसेर्ल ने फिर इसी बात को आगे बढाया,” जेसे ध्वनी तरंगो को प्रवाहित होने के लिए एक माध्यम की ज़रूरत है , ठीक उसी तरह , समय और प्रकाश भी माध्यमो में बहते हैं..
प्रकाश की गति एक सामान रहती है .. वो कम् ज्यादा नहीं होती .. हम कभी भी प्रकाश की गति से तेज़ नहीं जा सकते.
समझो जेसे एक गाडी सीधे पूर्व दिशा में सामान गति में चल रही है , वो समय के बढ़ने के साथ दूरी तय कर रही है.. अब यही गाडी जब सीधे चलने के इलावा दक्षिण पूर्व  दिशा में चलती है , तो उतर की तरफ उसकी तय की गयी दूरी कम हो जाती है , क्यूंकि उसकी कुछ गति दक्षिण की तरफ बढ़ने में भी मदद कर रही है , ठीक उसी तरह स्पेस टाइम काम करता है , जितनी गति से आप स्पेस में सफ़र करते हैं , समय आपके लिए उतना ही धीमा हो जाता है ..आप समय यात्री बन जाते हैं….

लीसेर्ल ने ये सब कुछ इतनी आसान शब्दों में समझाया की मैं तो उसकी आँखों में ही देखता रह गया .. वो कई वर्षो से सर एल्बर्ट के साथ इस थ्योरी पर काम कर रही थी .. मुझे तो कभी कभी ऐसा लगता था की वो एक दिन सर एल्बर्ट से भी महान भौतिक विज्ञानी बनने वाली है...
उसने केक का पहला टुकड़ा अपनी माँ मिलेवा को खिलाया , दूसरा अपने पिता को तीसरा टुकड़ा मुझे.. मुझे ऐसा लगता था की वो मुझे पसंद करती थी . और मैं तो उसे कब से चाहता था.. पर सर एल्बर्ट जो मेरे गुरु के समान थे उनसे मुझे ये सब कहने से बहुत डर लगता था , वो सिर्फ सब के मुह से भौतिकी की बातें ही सुनना पसंद करते थे..
लीसेर्ल कहती है  ,” तुम आज पहली बार हमारे घर आए हो डेनिस , तुम्हे आज हमारे घर पर रुकना होगा तुम्हे मैं पापा के  पब्लिश हुई सारी पेपर्स दिखाउंगी , बोलो रुकोगे ??
मैडम मिलेवा ने भी मुझसे रुकने के लिए कहा , पर सर एल्बर्ट चाहते थे की मैं लीसेर्ल से दूर रहूँ ताकि वो अपनी रिसर्च में काम कर सके बिना ध्यान भटकाए, लीसेर्ल ने किसी तरह मुझे घर पर रुकने के लिए सर एल्बर्ट को मनवा लिया , सर एल्बर्ट अपनी बेटी को खुद से भी ज्यादा महान समझते थे , उनका मानना था एक दिन वो ब्रह्माण्ड के उस रहस्य से पर्दा भी उठा देगी जिससे भूत भविष्य , वर्तमान का सारा भ्रम खत्म हो जाएगा .. सर अल्बर्ट ने मुझे अकेले में बुलाया और कहा ,” देखो डेनिस लीसेर्ल एक ऐसे पेपर को पब्लिश करने वाली  है , जो इस इंसानियत की परिभाषा बदलने वाला है , वो समय के रहस्य को उजागर करने के बहुत करीब है , और मैं नहीं चाहता की तुम उसे उसके लक्ष्य तक पहुँचने में बाधा बनो , डेनिस बेहतर होगा तुम उसकी ज़िन्दगी से दूर चले जाओ , कुछ वर्षो के लिए , मैं तुम्हे हमेशा के लिए उससे अलग नहीं करना चाहता क्यूंकि मैं जानता हूँ की तुम उससे प्रेम करते हो , और वो भी तुमसे बेहद प्रेम करती है .. इसीलिए बेटा मेरी बात मानो..”
सर एल्बर्ट की बातें मुझे अन्दर ही अन्दर चुभ रही थी मगर ख़ुशी भी थी उन्हें हम दोनों का प्यार मंज़ूर था..
मैडम मिलेवा ने मुझसे कहा  ,” डेनिस चलो डिनर कर लो , आज हमारे साथ जूलियस और उसके दोस्त भी इस डिनर में आने वाले है ,तुम तो जानते हो ना  जूलियस को..
मैंने कहा ,” जी जूलियस तो हमारा ही बैच मेट है, वो भी आ रहा है यहाँ मैडम ??
लीसेर्ल ने मुझसे कहा ,” मैं जानती हूँ डेनिस वो चारो तुम्हे पसंद नहीं पर वो मेरे प्रोजेक्ट में मुझे पूरी मदद करते हैं.. उन्ही की मदद से आज में इस राज़ के इतने करीब पहुँच गई हूँ.. मैं चाहती हूँ की आज से तुम भी हमारे साथ इस पर काम करो , मैं पापा से बात करुँगी की वो तुम्हे यहाँ रहने देंगे...
मैने लीसेर्ल से कहा ,” देखो लीसेर्ल तुम अच्छी हो , बुद्धिमान हो , भ्रह्मांड को तुम्हारी ज़रूरत है , मगर मुझे यहाँ नहीं रहना , ये सब मुझे पसंद नहीं , मैं एक लेखक बनना चाहता हूँ .. मुझे तो ज़बरन मेरे पिता ने यहाँ दाखिला दिलवाया है , मैं एशिया जाना चाहता हूँ , मुझे हिमालय की वादियाँ देखनी है .. मैं यहाँ नहीं रह सकता लीसेर्ल...
इतना सुनते ही लीसेर्ल रोते हुए अन्दर चली जाती है , और मैडम  मिलेवा मुझे वहां से जाने को कहती है , मैं सर एल्बर्ट से हाथ मिला कर वहां से हमेशा के लिए चला आया.. सर एल्बर्ट ने मेरा कन्धा थपथपाया और कहा ,” वक़्त तुम्हे फिर से एक साथ ले कर आएगा .. भविष्य भूत और वर्तमान सब एक हो जाएँगे .. और दूरियां सिर्फ नाम की रह जाएंगी .. अपनी मंजिल पर आगे बढ़ो ... ख़त लिखते रहना ...
मैंने सर एल्बर्ट को गले लगाया और एक पिता जेसा एहसास मुझे उनसे गले मिलने के बाद मिला.. वो एहसास आज भी मुझे याद है ...
मैं एशिया चला आया ...सर एल्बर्ट मुझे अक्सर ख़त लिखते थे.. एक ख़त में उन्होंने लिखा था,”
प्यारे डेनिस,
जब से तुम गए हो लीसेर्ल का मानसिक संतुलन बिगड़ता जा रहा है , वो ठीक से खाती नहीं है , देर रात तक काम करती रहती है ,उसकी रिसर्च के पेपर जूलियस उससे चुरा कर लन्दन भाग गया , अभी वो दुबारा से वो पेपर लिख रही है , मिलेवा और जॉर्डन उसकी मदद कर रहे हैं.. उसकी आखिरी इम्तिहान की घडी आने वाली है , मैं चाहता हूँ की तुम भी उसका साथ दो .. वो ज्यादा ख़ुशी दिल से काम करेगी..”
-एल्बर्ट
 जूलियस, लीसेर्ल के काफी करीब आना चाहता था .. क्यूंकि वो और उसके तीन दोस्त हेक्टर , डंकन , और जॉर्डन ये तीनो लीसेर्ल की टाइम ट्रेवल थ्योरी में मदद कर रहे थे .. मुझे यूनिवर्स टाइम में कोई दिलचस्पी नहीं थी , पर लीसेर्ल के साथ रह कर मुझे अब ये सब अच्छा लगने लगा था..

सर एल्बर्ट का ख़त बहुत भावुक था, पर यहाँ मुझे एक अखबार में संपादक की नौकरी मिल चुकी थी मैं , अब दुबारा जुरिख नहीं जाना चाहता था..मुझे लीसेर्ल की याद तो सताती थी , पर मैं चाहता था की वो खुद ख़त लिख कर जब तक मुझे अपनी कामयावी के बारे में नहीं बताती मैं वहां दुबारा नहीं जाने वाला था ..
एशिया में रह कर मैं कुदरत के करीब चला गया , जहाँ विज्ञान नहीं था , ना ही मैथ के वो अनसुलझे सवाल , ना ही कोई टाइम थ्योरी , वहां इश्वर की बातें थी, रूह का सुकून था , वहाँ रह कर मैने आत्मा परमात्मा का रहस्य जाना ..मैने ये सब लीसेर्ल को लिखना चाहा , मैं इस महा ज्ञान को उससे बताना चाहता था..
मैने 1928 में लीसेर्ल को एक ख़त लिखा..
प्यारी लीसेर्ल,
मैं यहाँ एशिया में हूँ , कैसी हो तुम , मैं जानता हूँ तुम मुझे याद करती हो , मैं भी तुम्हे याद करता हूँ , पर यहाँ जो मुझे मिला है वो मैं तुम्हे बताना चाहता हूँ , वो शायद वहाँ नहीं मिलता...
यहाँ एक राज़ मुझे मालूम पड़ा है की हम जो दिखते हैं वो हैं नहीं ... हम मिटटी , आकाश , जल , अग्नि , और हवा से मिल कर बने हैं .. भ्रह्मांड इश्वर का रचा हुआ एक संसार है , हमारे भीतर एक उर्जा है जिसे आत्मा कहा जाता है.. और वोही हमारा अस्तित्व है , इश्वर कभी नहीं चाहेगा की उसकी प्रकृति के साथ कोई बदलाव करे , इश्वर के इलावा शैतान भी होता है जो बुराई का प्रतीक होता है और उसके पास अँधेरे की ताकत रहती है , इश्वर सब अच्छी रूहों का मालिक है , जबकि पापी आत्माए शैतान को सौंप दी जाती हैं .. हम एक मांस का बना शरीर हैं मुख्य भूमिका जो निभाती है वो रूह है जो की एक उर्जा है ...
और शायद तुम इस उर्जा को जानती हो लीसेर्ल...
 तुम्हारा प्यारा डेनिस
मैने उसे उस ख़त के साथ आत्मा के कुछ रहस्य भरे दस्तावेज भी दिए..ताकि वो समझ सके अपने आप को और मुझे भी ..
कई महीने बीत गए ,उस ख़त का कोई जवाव नहीं आया ...मैं भी प्रकृति और आधात्मिकता को समझने में व्यस्त हो गया ..
एक दिन मैं यूँही रात को अकेला गुज़र रहा था , मुझे कुछ पूजा पाठ मंत्र उच्चारण की आवाजें  सुनाई दी , मैने देखा की कुछ लोग सुनसान जंगल में एक बकरी की बलि चढ़ा रहे थे , ये नजारा भयानक था , एक महिला पर किसी भूत प्रेत किसी काले  साये का असर था..वो अजीबो गरीब आवाजे निकाल रही थी .. मैं काफी डर चुका था .. बलि चढाते ही वो महिला अच्छी हो गयी.. वो रात मैंने शेतान को अपनी आँखों से देखा .. देखा की जहाँ इश्वर की बातें आपको इतनी  ख़ुशी और उत्साह देती है , वही एक शैतान कितना खौंफ और डर फैलाता है..
अगले दिन मैंने शहर के एक बाजार में कुछ अंग्रेज लोग देखे , जो आम नागरिको से बिलकुल अलग थे , उसी भीड़ में मैंने देखा जूलियस को .. उसके साथ हेक्टर और डंकन भी थे ..
मैं हैरान था की आखिर वो लोग यहाँ क्या कर रहे हैं.. मैं छुप गया और घर चला गया..
मैंने जेसे ही घर के अन्दर पैर रखा , मुझे किसी ने जोर से धक्का दिया...
जेसे ही रौशनी हुई , मैंने देखा जूलियस , डंकन और हेक्टर तीनो मुझे अपनी क्रूर आँखों से देख रहे थे,
जूलियस ने जोर से मुझे ज़मीन पर पटका और चिल्ला कर बोला ,” हरामखोर तू आज भी उसे ख़त लिखता है , और उसे पागल बना रहा है , तेरा ख़त पढ़ कर वो यहाँ तुझसे मिलने चली आई , अब बता कहाँ छुपा कर रखा है उसे तूने ??
मुझे लीसेर्ल के बारे में कुछ भी नहीं पता था, मैंने उनसे कहा , “ मुझे नहीं पता , मैं उससे पिछले तीन साल से नहीं मिला “
हेक्टर ने मुझे पीटना शुरू किया और कहा की , “ तू झूठ बोल रहा हैं डेनिस , तुझे मालूम नहीं है लीसेर्ल ने क्या खोज निकाला है , पूरा जुरिख , पूरा विश्व उसकी खोज से पागल हो गया  है , विज्ञानिक उसके पेपर को पढ़ पढ़ कर सर एल्बर्ट को वाहवाही दे रहे हैं , जबकि सर एल्बर्ट कहते है की ये सारा काम लीसेर्ल का है , उन्हें इस के बारे में कुछ नहीं पता .. वो आखिरी कुछ पन्ने अपने साथ ले कर भागी थी , जिसे उसने तुम्हारा ख़त पढने के बाद लिखा था , ना तो हमें तुम्हारा वो ख़त उसके पास मिला  ना वो आखिरी के पन्ने..जिसमे पूरी खोज का रहस्य था.. और जब तक वो नहीं मिल जाते तुम ऐसे ही हमारे बंदी बने रहोगे डेनिस.. अगर जान बचाना चाहते हो तो उसका पता बता दो ...बताओ तुमने उसमे क्या लिखा था??” ...
मैंने उन्हें सब सच बता दिया , पर जो चीज़ जिसे समझ में आने वाली थी वो उसे आ चुकी थी.. उन कम बुद्धि वाले प्राणियो को मेरी बातें कहाँ समझ आने वाली थी .. “
इतनी में ही दरवाजे पर एक और आदमी आता है.. और सब खामोश हो जाते हैं , डंकन धीरे से दरवाजा खोलता है , दरवाजा खुलते ही जॉर्डन दिखता है , जॉर्डन के हाथ में एक बैग होता है , जिसमे लीसेर्ल अपने पेपर्स रखती थी..

मैने जॉर्डन से कहा ,” तुम तो लीसेर्ल के साथ थे ना , फिर तुमने भी उसे धोखा दिया जॉर्डन सर एल्बर्ट ने तुम पर भरोसा किया पर तुमने भी.. धिक्कार है तुम पर जॉर्डन..
डंकन हसता है और बताता है ,” ये जॉर्डन ही तो हमारा आखिरी सिपाही था . तुम्हारे ख़त के बारे में इसी ने हमें बताया और ये भी की लीसेर्ल घर से भाग चुकी है , हमारी तो सालो की मेहनत पानी में मिल जाती , अकेली वो लीसेर्ल सारी खोज का श्रेय ले जाती .. हमे क्या मिलता ...मेहनत तो हमने भी की थी..
जूलियस मेरी और इशारा करता है और टेढ़ी आँखों से देखते हुए बोलता है  ,” इसे बाँध कर रखो जब तक हमें लीसेर्ल नहीं मिल जाती ...चलो शहर में उसे ढूँढते हैं ..जॉर्डन और डंकन तुम यही रहो ..
डंकन शराब लेने शहर निकल जाता है ..जॉर्डन और मैं कमरे में अकेले थे उसने मुझे सब सच बताया ,” सुनो डेनिस मेरी बात ध्यान से सुनो ये कोई मामूली खोज नहीं है , उसने वर्तमान से भविष्य , और वर्तमान से अतीत में जाने का रहस्य खोज निकाला है.. उसने प्रकाश की गति के बराबर चलने का सीधा सा समीकरण खोज निकाला है , जिसमे वस्तु का भार समान रहता है , जो की अब तक समझा जाता था की वो बढता रहेगा ...डेनिस उसने वर्म होल की खोज की है , जो हमें एक आयाम से दुसरे आयाम में ले जाते है .. उसने अपने आखिरी पेपर में इसे सिद्ध कर के दिखाया था जिसमे उसने एक चूहे पर इसका प्रयोग किया और वो चूहा हड्डी मांस का बना चूहा उर्जा में बदल गया , ये नहीं पता कैसे पर उसका शरीर वही रहा , पर उसने पेपर में लिखा है उसने उसकी आत्मा के अणुओं को 12 मील दूर किसी दुसरे मृत चूहे के शरीर में दाखिल कर के इस खोज की पुष्टि की है ..
कई महान विज्ञानिक इसे महज़ एक मजाक समझ रहे हैं .. पर मुझे लगता है की ये सच है .. महान आइंस्टाइन की संतान  कभी झूठा प्रमाण नहीं देगी..
मैं उसकी बातों से जान चुका था की उसने वो असंभव काम कर दिखाया था .. जो उसे इश्वर से भी महान बना सकता था ..
जॉर्डन मुझसे सहानुभूति दिखाते हुए पूछता है ,” तुम लीसेर्ल से प्यार करते हो डेनिस , तो मेरी बात मानो मुझे उसका पता बता दो , उसकी जान खतरे में मत डालो , बुरे लोग उसे जिंदा नहीं छोड़ेंगे.. उसने भौतिक विज्ञान , आध्यात्मिक ज्ञान सब को चुनौती दी है , इंसानियत उसके इस खोज का गलत उप्गोग करेगी ..शेता...इ .. इ  इश्वर हमें कभी माफ़ नहीं करेगा ,, ये प्रकृति के नियम के खिलाफ है डेनिस , अगर इंसान रूह पर, भूत पर ,भविष्य पर ,ही काबू पा लेंगे तो इश्वर का क्या वजूद रह जाएगा , मैं ऐसा नहीं होने दूंगा डेनिस ...कभी नहीं ..
मैंने जार्डन से पूछा ,” अगर तुम्हे इतना ही डर था तो तुम खुद क्यूँ इस खोज में हिस्सा बन रहे थे अब तक जॉर्डन तुम क्यूँ पिछले चार साल से उसकी खोज में मदद कर रहे थे  ??
जार्डन कहता है ,” देखो दोस्त मेरा इस पेपर में सिर्फ इतना योगदान है की मैं सिर्फ टाइप करता था , टेबल पर कपडा मारना , लाइब्रेरी से किताबे लाना , उन सब के लिए काफी बनाना ये सब मेरा काम था .. बाकी रही बात इस खोज से जुड़ने की तो मैं तुम्हे बता दूँ मैं नफरत करता हूँ इस जूलियस से , इस डंकन से , और खासकर उस लीसेर्ल से..
मैं किसी इश्वर को नहीं मानता ,मैं  जानता हूँ तो बस यही की ये सब इश्वर के दूत हैं और इन्हें मुझे मारना है , ऐसा शैतान का हुकम आया है..
मैं जॉर्डन की बातो से डर गया और मैने उससे कहा ..,” हे जॉर्डन तुम पागल हो गये हो क्या ?? केसी बातें कर रहे हो हम सब दोस्त हैं...तुम ऐसे मरने मारने की बातें क्यूँ कर रहे हो ...????
जॉर्डन की आँखें लाल थी , बिलकुल उस रात के शैतान के जेसी, उसकी परछाई में शैतान नज़र आ रहा था वो एक कर्कश और डरावनी आवाज में बोलता है ,” इश्वर नहीं चाहता कोई उसकी प्रकृति के खिलाफ जाए , उसने शैतान के साथ दोस्ती कर ली है और वो अपने ही बनाए बन्दों को मारना चाहता है , क्यूंकि इश्वर तो महान है वो कभी किसी की नहीं मारता , पर ये काम अब उसने शैतान को दिया है , और मैं शैतान का खून हूँ , उसने मुझे ये काम दिया है ,इन में से कोई नहीं बचेगा ...कोई भी नहीं .. अगर ऐसा होगा तो वक़्त की वो धारणा ख़त्म हो जाएगी की वो सीधा बहता है , वक़्त कभी उल्टा नहीं बह सकता , ये देखो ये कांच की खिड़की हाथ मारो तो टूट गयी ... वापिस इन टुकडो को जोड़कर खिड़की बनाना प्रकृति के नियम के खिलाफ है ये असंभव है , केसा रहेगा अगर मैं अतीत में चला जाऊ और अपने पिता को कहूँ की आप मेरी माँ से शादी मत कीजिए की वो अच्छा खाना नहीं बनाती .. तो क्या इतनी सी बात से मेरा वजूद खत्म हो जाएगा .. ऐसा संभव नहीं है , अतीत में जाने से सारा जीवन चक्र गड़बड़ा जाएगा ...
मैने जॉर्डन की बातो पर गौर किया और कहा ,”अब तुम किस किस को जान से मारोगे जॉर्डन पूरी दुनिया अब ये राज़ जान जाएगी , आज ना कल ये राज़ खुल ही जाएगा ... मुझे खोलो और जाने दो ..पागल मत बनो...
जॉर्डन मुझ पर और भड़क जाता है , और कहता है ,” की प्रकृति कभी किसी को खुद की अतीत में की गई गलती सुधारने का मौका नहीं देती डेनिस ...पर उसने मुझे दिया है डेनिस मुझे गलत मत समझना दोस्त...
और वो मुझे लोहे की छड से पीटकर बेहोश कर के चला जाता है...
थोड़ी देर में डंकन आता है और मेरी आँख खुलती है .. सर में तेज़ दर्द था ...ये सब देख कर वो घबरा जाता है और मुझसे पूछता है ,” ये तुम्हे किसने मारा डेनिस और ये खिड़की किसने किया ये सब ??
मैने सब सच बता दिया ,” डंकन ये सब जॉर्डन ने किया है उसे रोको वो तुम सभी को मारने निकला है..
तभी कमरे के दरवाजे के बाहर एक डाकिया चिठ्ठी ले कर आता है , डंकन जेसे ही चिट्ठी लेने पीछे की तरफ मुह करता है , मैं उसे उसी लोहे की छड से सर पर प्रहार कर के चिठी ले कर वहां से  भाग निकलता हूँ..
मैं कई दिन भागता रहा .. कोई ना कोई मुझे बचा रहा था मानो ...कुछ साल मैं उत्तर हिमालय में एक कबीले के साथ रहा.. वहाँ मुझे कोई नहीं ढून्ढ पाया था.. मैं उन लोगो के साथ जंगले जाता था फल लाता था और खेती भी करता था और पता ही नहीं चला कब तीन साल उन्ही कबीले के लोगो के साथ बीत गए , वहां से शहर काफी दूर था...मैं एक ख़ास ख़त के इंतज़ार में था ... मुझे जो तीन साल पहले ख़त मिला था वो लीसेर्ल का था उसने कहा की वो किसी बड़े विज्ञानिक के साथ काम कर रही  है , उसने नाम नहीं बताया था .. उसने मुझे इस शहर में जाने को कहा था जहा वो ख़त भेजने वाली थी..
तीन साल बाद उसका ख़त मुझे हिमालय की तलहटी पर बसे उस गाँव में मिला.. जो मेरे लिए ही था ...जो कुछ उस ख़त में लिखा था उसे पढ़ कर में पागल सा हो गया ..पर पढ़ कर यकीन हो गया की ये मेरी लीसेर्ल का ही ख़त है ..
उस ख़त में लिखा था
प्यारे डेनिस
मैं लीसेर्ल सब कुछ जान चुकी हूँ, जीवन मरण के रहस्य को भी , भूत भविष्य , वर्त्तमान को भी ,मेरे पिता मेरे साथ हैं , उन्हें मुझ पर नाज़ है , हमने ये पता लगा ही लिया की प्रकाश की गति से केसे सफ़र किया जाए , हमने शरीर को बहुत ही पेचीदा पाया है , इस पिंड को एक स्थान से दुसरे स्थान पर ले जाने में कामयाव नहीं हो पाए हैं , और होना भी नहीं चाहते , क्यूंकि हमने आत्मा जेसे एक पेचीदा उर्जा पर प्रयोग कर खुद को मुश्किलों से घेर लिया है , रूह जो की एक उर्जा है डेनिस जेसा तुमने बताया था ..., नन्हे अणुओं से बनी है , हमने इन्ही नन्हे अणुओं को जब प्रकाश की इलेक्ट्रो मैग्नेटिक तरंग पर बिठा कर उसे प्रकाश की गति से तेज़ दौड़ाया तो हमे मिला की हमारे लिए वक़्त रुक गया , भौतिकी के सारे नियम बेकार सिद्ध हो गये , हम पहले समय यात्री बन गए हैं , इन तीन सालो में तुम्हे जो भी मदद मिली है जिंदा रहने में बस यूँ ही समझ लेना वो मदद मैंने तुम्हे भेजी है डेनिस , मैं पिछले तीन साल में हज़ारो बार तुम से मिल चुकी हूँ इसी समय यात्रा से , कभी तुम्हे जंगल में देखा है तो कभी तुम्हे उन कबीले वालो के साथ खाना खाते हुए , तुम मुझे नहीं देख पाए , पर मैंने तुम्हे देखा है डेनिस ... हज़ारो विज्ञानिक इस खोज के पीछे पड़े हैं ..तुम्हे मैं बता दूँ तो जूलियस ,डंकन और हेक्टर को जॉर्डन मार चुका है , क्यूंकि वो भी मेरी तरह इस राज़ को जानते थे , ये राज़ मुझे और एक महान विज्ञानिक को पता है मैं उनका नाम नहीं लेना चाहूंगी , यहाँ तक की मेरे पिता भी इस थ्योरी का पूरा राज़ नहीं जानते , डेनिस तुमने सही लिखा था इश्वर की बनाई प्रकृति से हमें छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए ,
मेरे साथ आज कल कुछ अच्छा नहीं हो रहा , मुझे अजीब अजीब सपने आते हैं , रूहे दिखती है , मैं अपनी ज़िन्दगी से परेशान हो चुकी हूँ डेनिस , ये बात मैंने किसी को नहीं बताई , अगर तुम ये चिठ्ठी पढ़ रहे हो तो समझ लेना की मेरी रूह तुम्हारे आस पास ही होगी..
अगर तुम सच मुच मुझसे प्यार करते हो और एक सुखी जीवन बिताना चाहते हो मेरे साथ तो जेसा मैं कहती हूँ करो...
जॉर्डन की बातें बिलकुल सही थी .. जो कुछ उसने तुमसे कहा , वो सब मुझे भी मालुम है , इश्वर नहीं चाहते की ये राज़ किसी इंसान को पता चले , तुम्हे मुझे मारना होगा डेनिस , और खुद भी मरना होगा , जॉर्डन मुझे किसी ना किसी दिन मार डालेगा पर मुझे मारने से ये राज़ दफ्न  नहीं होने वाला ये राज़ तो अब कही ना कही तो फेल चुका होगा , हमने इटली के एक प्रयोगशाला में एक वर्म होल बनाया है कुछ हज़ारो करोड़ो सीज़ियम के अणुओं को उकसा कर... मैं चाहती हूँ तुम यहाँ इटली आओ , तुम्हे मेरे अतीत में जा कर मुझे मेरे बचपन में मारना होगा , नहीं तो इस पृथ्वी का खात्मा हो जाएगा डेनिस ...
ये खोज इंसानियत का विनाश कर देगी ...
मैं तुम्हारा इंतज़ार करुँगी...
तुम्हारी प्यारी लीसेर्ल
मुझे वेसे तो सब समझ आ चुका था और वेसे कुछ भी नहीं .. अपने प्यार को मारना , ये मुझसे नहीं हो पाएगा ...
पर मुझे लगा की हो सकता है इश्वर ने मुझे जन्म ही इसीलिए दिया हो ...
मैं खामोश था , बेचैन था , मैं इटली की तरफ रवाना हो गया , कई दिनों की यात्रा के बाद जब मैं पहुंचा तो देखा की लीसेर्ल जिंदा नहीं थी उसकी मौत हो चुकी थी जॉर्डन उसे भी मार चुका था .. ये खबर सुनते ही मेरे पेरो के नीचे से ज़मीन फिसल गई.
सर एल्वर्ट और मैडम मिलेवा भी उसके फ्यूनरल में थे , दुनिया के  सभी भौतिक विज्ञानी भी वहां मजूद थे , .. मुझे समझ नहीं आ रहा था ये सब क्या हो रहा है , सब लोग एक एक कर के वहां से चले गए , आखिर में मैं और एक और काले कोट में बेठा एक इंसान हम दोनी ही बचे ...वो मेरे पास आया और मेरे कान में कहा ..,” मरने के लिए तैयार हो मिस्टर डेनिस ??
मैंने नज़र घुमाई तो देखा वो जॉर्डन ग्रीव्स  था , जिसने इस पेपर से जुड़े सब विज्ञानियो को एक एक करके मार डाला था..
मैने उसकी कालर पकड़ी और उसे मारना चाहा मगर उसके साथ और भी कई लोग थे... वो जो सीधे मुझे उस प्रयोगशाला में ले गए , वहां कई विज्ञानिक थे , हज़ारो मशीन थी , दूर कही कोने में मुझे एक आदमी  दिखाई दिया जो कुछ जाना पहचाना सा था..  मैं उसे देख नहीं पाया इससे पहले की मैं उसे देखता मेरी आँखों पर पट्टी बाँध दी गयी और फिर मुझसे कहा गया ..
तुम्हे अतीत में भेजा जा रहा है डेनिस  , तुम्हारा शरीर यही रहेगा तुम्हारी रूह अतीत में जाएगी , दिन होगा    18 सितम्बर 1903 , तुम्हे सर एल्वर्ट के घर पर जाना है , नन्ही लीसेर्ल का हाथ पकड़ना है , तुम्हारे हाथ पकड़ते ही उसका शरीर तुम्हारी रूह के इलेक्ट्रॉन्स को खींच लेगा .. तुम्हारी रूह नन्ही लीसेर्ल के शरीर में जाते ही उसके शरीर का तापमान बढ़ा देगी जिससे उसे तेज़ बुखार आएगा , और वो इस खोज करने से पहले ही मारी जाएगी .. तुम्हे इसीलिए चुना गया , क्यूंकि लीसेर्ल को यकीन था तुम उसके लिए जान भी दे सकते हो , और हमे यकीन है तुम उसकी जान ले भी लोगे , अगर नहीं लोगे तो आधे घंटे के भीतर तुम वापिस लौट आओगे और फिर हम तुम्हे नहीं छोड़ेंगे , जेसे ही वो मरेगी , हम सब उसे भूल जाएँगे , सब कुछ वापिस पहले जेसा हो जाएगा , अगर वो नहीं मरी तो सब वेसा ही रहेगा.. हम समझ जाएँगे तुमने उसे नहीं मारा..
इस पृथ्वी का भविष्य तुम्हारे हाथ में है ....जाओ .... मुझे एज बिजली का झटका लगा मानो जान निकल रही हो ...
और मेरी आँखों के सामने तेज़ प्रकाश था ... और देखते ही देखते मैं 18 सितम्बर  1903 में पहुँच गया .. जो काम मुझे दिया गया था वो मुझे करना था क्यूंकि , इसलिए नहीं की मुझे उन लोगो ने कहा था , इसीलिए की खुद लीसेर्ल ये चाहती थी .. मैं गायब था , मैडम मिलेवा नन्ही लीसेर्ल को गोद में खिला रही थी .. मैंने नन्ही लीसेर्ल को देखा .. मेरी रूह की रूह भी होती तो भी उसे देख पागल हो जाती .. मैंने उसे देखा मैं उसके पास ही खड़ा था उसे छूने  से डर रहा था.. एक दम से नन्ही लीसेर्ल ने मेरा हाथ पकड़ लिया और देखते ही देखते सब कुछ  मानो गायब सा हो गया ,मुझे ऐसा लगा जेसे काली शक्तियों से दी गयी वो बलि , और विज्ञान में आत्मा के अणुओं को शरीर से निकालना ये दोनों एक ही क्रिया थी... उसके अन्दर जाते ही मैं उसकी रूह से मिला एक खालीपन सा दूर हो गया मानो . इसी को प्यार कहते हैं जब दो रूहें मिल जाती है , एक दुसरे में , देखते ही देखते .. लीसेर्ल का शरीर तपने लगा और उसकी मौत हो गयी.. मैडम मिलेवा की चीख मुझे सुनाई दी थी ....समय ने  सब कुछ बदल कर रख दिया , सर एल्बर्ट की वो बात याद आ गयी की वक़्त तुम्हे फिर से एक साथ ले कर आएगा .. भविष्य भूत और वर्तमान सब एक हो जाएँगे .. और दूरियां सिर्फ नाम की रह जाएंगी… इतिहास के पन्नो में दर्ज हुआ की महान एल्बर्ट की पहली संतान लीसेर्ल आइंस्टाइन जन्म के कुछ महीने बाद ही तेज़ बुखार की वजह से मारी गयी , पर हकीकत तो मैं जानता हूँ , की वक़्त की परिभाषा बदल देने वाली , भ्रह्मांड के सभी रहस्यों को जान लेने वाली , रूह को पहचान लेने वाली वो महान भौतिक विज्ञानी थी लीसेर्ल आइंस्टाइन जिसने टाइम ट्रेवल और वर्म होल जेसे एक महान आविष्कार को जन्म दिया था ...आज तक वो समय यात्रा का रहस्य अनसुलझा है क्यूंकि वो सब पेपर उसकी मौत के साथ ही वक़्त की गहराई में दफ्न हो गए ... आप सोचते होंगे , मेरा और लीसेर्ल का क्या हुआ , लीसेर्ल के ख़त में आखिरी पंक्ति मैंने लिखी थी की आत्मा अमर है ये एक बार नहीं बार बार जन्म लेती है .. आज जर्मनी तो कल एशिया में ... हमारी रूहे अमर हैं .. लीसेर्ल और डेनिस हर शताब्दी में एक बार जन्म लेते हैं .. और इस शताब्दी में मुझे अपनी लीसेर्ल का इंतज़ार है जो जरूर मेरी इस कहानी को पढ़ कर मेरी और खिची चली आएगी , और ये भी सच है इंसान कभी वक़्त की धारा को उल्टा नहीं बहा सकता .. वक़्त बहेगा तो हमेशा सीधे दिशा में ....भविष्य की समय यात्रा संभव है पर अतीत में जाना असंभव है...
चलता हूँ फिर मिलूँगा एक नई कहानी के साथ..
आपका अपना कवि
$andy poet

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