देख के तेरा नूर कान्हा , ये राधा दीवानी तेरी हो गयी I
तेरे संग तेरी बंसी की धुन मे गाते हुए कहीं खो गयी II
इश्क़ के तेरे रंग हज़ारों, एक लाल इश्क़ तेरा मुझे भा गया I
डूब गयी इस रंग मे ऐसे,फिर नशा अंग-अंग मे मेरे छा गया II
नैन तेरे जिसमे जहान है बसा सारा,दिल मेरा उनपे आ गया I
तेरा इश्क़ तो दीमक था होली होली दिल को मेरे खा गया II
तेरे कैश काले जिसमे रातों का अंधियारा, थोड़ी खामोशी है I
तेरे मयूर पंख की गुदगुदी मे ही हर सुख और मदहोशी है I
लाखों की भीड़ में जब तू निहारे मुझे,दूर से हस के पुकारे मुझे I
दिल धड़कने लगता है जोरों से ,जब छुप छुप के तू निहारे मुझे II
भेष बदल कर पेड़ो पे चढ़ जब कंकड़ शरारत से मारे मुझे I
रूप तेरे हज़ारों , सब के सब लगे बड़े ही प्यारे मुझे II
रातों को दिन को , तू ही हर जगह मसहूर है यहाँ I
पास है तू दिल के करीब,हो के पास भी तू दूर है कहाँ II
तेरी गोपियाँ मुझसे और मैं उनसे जलती हूँ I
है भरोशा मुझे तेरे प्यार पर ,आँखें मूँद अब मैं चलती हूँ II
तू ही शुरुआत थी, मध्य तू ही ,अंत भी तेरे साथ है I
राधा-कृष्णा की है हमेशा ,हाथो में बस तेरे ही हाथ है II
तू भुलाये मुझे बेशक , मैं भुला तुझे ना पाउंगी कान्हा I
तेरी यादों में खोउंगी , आंशू दिन भर बहाऊँगी कान्हा II
याद रहेगा तू,तेरी शरारते और संग तेरे बिताए वो पल कान्हा I
आंशू बह जाएंगे याद करके जो तूने किये संग मेरे छल कान्हा II
मैं भूली नहीं जो तूने जख्म दिल के हज़ारों मुझे दिए हैं रोज I
वो आंशू ज़हर से कड़वे मैने फिर भी तेरे लिए पिए हैं रोज II
तेरे हाथों को थाम कर , बस जी भर के तुझे निहारती रहूँ I
लवों पे बस नाम हो तेरा ,बस दिन भर पुकारती रहूँ II
तू सबका स्वामी है , दर्द इश्क़ का क्या जाने तू I
रास इश्क़ का रचाता है संग सबके, हाथ पकड़ने के बहाने तू II
तेरा दिल सागर सा बड़ा , इश्क़ ज़ी भर के लुटाता है तू I
खुद बाहों में सो कर किसी की, नींदे औरों की उड़ाता है तू II
तू सबके दिल मैं बसता है , मेरे दिल में बस तेरा वास है I
तेरे इश्क़ के कारण ही हूँ ज़िंदा, नहीं ये राधा सिर्फ एक लाश है II
तेरी बांसुरी की धुन हो, तेरे हाथों में मेरा हाथ हो I
रूप हज़ारों मैं से हरपल इक रूप तेरा मेरे साथ हो II
छोड़ कर ना जाना मुझे तुम अपना बना के कान्हा I
दिल को मेरे ये मधुर गीत इश्क़ का सुना के कान्हा II
यादों में रहना हमेशा , सपनों में आते रहना I
ये सूरत भोली सी अपनी मुझे तुम दिखाते रहना II
मेरे हाथों मैं हथकड़ियाँ, बेड़ियां पैरों में बंधी देख कान्हा I
ये बंधिसे, ये मजबूरियाँ मत कर अब इनका तू उल्लेख कान्हा II
औरों के लिए तू भगबान सही,मेरा सखा , तू ही मीत है मेरा I
तू ही है भविष्य,वर्तमान और सुन्दर सा तू ही अतीत है मेरा II
वो तू ही है जिसने भीतर मेरे बीज इश्क़ के बोये कान्हा I
दिल की धड़कन सुनने लगी, नैन इतने ये मेरे रोये कान्हा II
वो तू ही है जिसकी सोच से मुझे ख़ुशी का एहसास हुआ I
दिल से सोचती हूँ मैं अब तो , बुद्धि मेरी का नाश हुआ II
मैं तो राधा हूँ गुमनाम कोई, तू तो सर्वश्रेष्ठ भगबान है कान्हा I
मुझ बेसहारी को तूने प्यार दिया, बड़ा सबसे यही तो दान है कान्हा II
स्वार्थी हो जाती हूँ अक्सर तेरे प्रेम में, अपना समझने की हुई मुझसे भूल कान्हा I
तेरे इश्क़ में जोगन हुई , बना ले चरणो की मुझे तू धूल कान्हा II
लोग कहते हैं बाँवरी हूँ मैं , ईश्वर से भला करता हैं ऐसा प्यार कोई I
कहती हूँ मैं मुझे दिखता है बस तू ही हर जगह ना घर, ना संसार कोई II
इश्क़ का मतलब पाना नहीं, हैं दिल से दिल का मेल कान्हा I
ये दुनिया क्या जाने मतलब इसका, समझती हैं इश्क़ को ये खेल कान्हा II
याद हमेशा तू रखना मुझे , भूल राधा को ना जाना तू I
तू ही पहला इश्क़ था मेरा , है अभी भी कान्हा तू II
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