Saturday, 13 February 2016

$andy’s वैलेंटाइन डे स्पेशल पोएट्री



मेरे इश्क की कहानियां ये जग जहां जो सुनता है....
इक तू ही है जो दिल की धड़कने मेरी सुनती नहीं...
मैं दिल लुटा कर अपना, बंजारा बन कर बेठा हूँ यहाँ..
आँखें तेरी मुझे हज़ारो में फिर भी ना जाने क्यूँ चुनती नहीं..
पी पी के आब-ए-तल्ख़ क़यामत सी दिल मे रहती है अब..
बुझे दिल के चराग ,जहन्नुम सा ये सारा जहां लगता है..
चश्म-ओ-चिराग थे तुम तो दिल के ओ हमदम..
अब दिल गुमगश्ता भी तेरे बिन मेरा अब कहाँ लगता है..
डाका जो आहिस्ता से घुस कर मेरे दिल में तुमने जो मारा है...
बदल सा गया है इत्तिफ़ाक से, आलम ये सारा का सारा है
वो आलम अब तक वेसा ही है,लवो पर तेरा ही नाम रहता है..
हाथो में कभी गुलाब था मेरे, आज उन्ही हाथो में जाम रहता है...
तिश्नगी रहती है मुझको ऐ गुलबदन तेरे ही दीदार की..
आब-ऐ-चश्म आँखों से बहते गवाही देते हैं मेरे सच्चे प्यार की..
चाहता हूँ मै चाहत का मेरी हो कुछ ऐसा अंजाम...
नफ़्स चले जाए देह से बेशक, हो जाएँ अमर हम दोनों के नाम..
तराना प्यार को जो में गा रहा हूँ पूरी दुनिया को सुना रहा हूँ..
ये तराना नहीं गुज़ारिश है तुझसे,जो होकर बेबश गुनगुना रहा हूँ,
एहतियात से संभाला है मैंने जो इस बेनाम इश्क की कश्ती को..
फर्श से अर्श तक पहुंचा दे तू इस छोटी सी हस्ती को..
अलफ़ाज़ मेरे जो अश्क की तरह कलम से बह रहे हैं..
पढ़ कर हमे अमर कर दो तुमसे ये देखो कह रहे हैं..
इश्क में कोई फरेब ,कोई दगा, कोई साजिश ना हो..
वो इश्क ही क्या जिसे कर के हमे नाजिश ना हो..
कर लो कबूल ये पैगाम जो भेजा है लिखकर अपने ज़ज्वातो की स्याही से..
आशुफ्ता दिल को समझोगे जब तुम पढोगे इसे गहराई से..
ऐसा थामो हाथ मेरा कि खत्म दिल की ये इश्तियाक़ हो जाए..
जो गम के बादल बिछोड़े के थे बरसने से पहले ही वो ख़ाक हो जाएँ..
चाहो हमें इतना दिल से मेरे दिल-ओ –दिमाग में अमन हो जाए..
जहन्नुम बन चुकी जो दुनिया हमारी खिलकर गुलो का ये चमन हो जाए...
$andy’s

आब-ए-तल्ख़= शराब ; आब-ए-चश्म= आंसू ;आलम= समयकाल ;आशुफ़्ता= बौख़लाया हुआ आहिस्ता= धीमे से ;अन्जाम= अन्त ;अर्श=सर्वोच्च स्वर्ग ;अल्फ़ाज़= शब्द ;अश्क= आँसू ;एहतियात= सावधानी ;इज़्हार=घोषणा ;इत्तिफ़ाक़=संयोग ;इश्तियाक़= लालसा तराना= धुन ;तिश्नगी=अभिलाषा ;नाज़िश=गर्व ;नफ़्स= प्राण ;फ़रेब= धोखा ;क़यामत=उथल-पुथल गुमगश्ता= भटकता हुआ ;गुलबदन= कोमल सुडौल, सुन्दर ;चराग=दीपक ;चश्म-ओ-चिराग= आंख का प्रकाश, प्रिय ;जाम= प्याला ; जहन्नुम= नरक ; चमन= पुष्प वाटिका ; गुज़ारिश= अनुनय, विनय

2 comments:

  1. बहुत सुन्दर कविता भावपूर्ण 👌👌👌👌💐💐

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    1. धन्यबाद,आपका हार्दिक आभार :) :)

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