धरती पर जीवन पनपता है , जहाँ कुदरत की अनोखी शक्तियां
इंसानों और सभी प्राणियों को एक महान शक्ति प्रदान करती है , वह शक्ति है जीवित
होने की शक्ति , कभी कभी मुझे अचम्भा होता है , आखिर जीवन है क्या ?? मैं क्या हूँ
?? क्यूँ मेरी सरंचना हुई , इश्वर ने मुझे क्यूँ जीवन दिया , यह धरती एक ऐसी जगह
है , जिसकी मिटटी के हर कण में चमत्कार और जादुई रहस्य छिपे हैं , यह सूर्य के
प्रकाश को पाकर ऐसी उर्जा की रचना करती है , जिससे एक नन्हे अंकुरित बीज में जीवन
उत्पन होने लगता है,और कुदरत की इन्ही शक्तियों को पाकर वह बीज वृक्ष बन जाता है ,
मनुष्य भी ठीक उसी तरह हड्डी ,मांस और ऊर्जा से बनता है , मांस जो की वो अपनी माता
से पाता है , वह लघु मांस का जीव कुदरत की शक्तिया पाकर फलता फूलता है और एक इंसान
कहलाता है जो मस्तिष्क से सभी जीवो से अकल्मन्द है , एक उसके भीतर उर्जा होती है
,जिसे जीवात्मा कहा जाता है , वह भी वास्तव में वो अपनी माता से पाता है ,परन्तु
वो उसकी माता का अंश नहीं होती , वो जीवात्मा इश्वर का अंश होती है , माता के पास
वो शक्ति है जो इश्वर के पास रहती है , इश्वर ने सृजन की शक्ति माता को दी है ,जो
की एक मादा है , नर की शक्तियां सीमित रहती है ,
वह इश्वर के कहे अनुसार मात्र सृष्टि निर्माण के लिए इश्वर की सहायता करते
हैं...
मनुष्य और पशु , पेड पौधे , नदियाँ , सूर्य ,पहाड़ ये सभी
ईश्वरीय सृष्टि रचना में सहायक है,इन सभी के पास जीवन निर्माण की शक्तियां हैं ,
जो इश्वर ने इन्हें दी हैं , और पृथ्वी पर जीवन की कल्पना तभी की जा सकती है अगर
ये सभी अपना अपना योगदान दे, इन सभी के पास जीवात्मा है , जो इन्हें इश्वर का संकेत
देती है , यदि सूर्य ने और पहाडो में से बहते पानी ने अपना काम त्याग दिया तो जीवन
समाप्त हो जाएगा , यदि पौधे सूर्य , मिटटी , पानी
से जीवन की उर्जा नहीं पाएंगे तो
मनुष्य क्या खाएगा , क्या पिएगा , क्या सांस लेगा , प्रक्रति के हर निर्माण में इन
तत्वों की ज़रूरत है..
मेरा इश्वर कहता है की हज़ारो करोडो वर्षो पूर्व उसने एक
संगृहीत और सिकुड़े हुए एक नन्हे तेज़ प्रकाश के गोले से इस उर्जा का बिस्फोट किया ,
उससे पहले ब्रह्माण्ड कुछ भी नहीं था, उसने ऐसा इसलिए किया क्यूंकि वो खुद इस
प्रकृति का हिस्सा है , उसका कार्य भी बंटा हुआ है , समय समय में प्रकृति का सर्जन
होता है , और अंत में विनाश होता है , एक नन्हे प्रकाश के बिंदु से ब्रह्माण्ड
फैलता गया , और प्रकाश ने ठोस होना शुरू कर दिया , ग्रहों की सरंचना हुई , आकाशगंगाएं
बनी , सूर्य बना , पृथ्वी बनी , फिर नन्हे जीव आए , विशाल जीव आए , फिर धरती जो की
पहले काफी गरम थी , बर्फ जितनी ठंडी हो गई ,नया जीवन आया , नन्हे पशु बने , वृक्ष
, पेड पौधे सब में वो उर्जा जाती गयी ,
जो
कोई साधारण उर्जा नहीं थी , वो उर्जा जीवन थी , वह जीवन जो आज तक पृथ्वी पर पनप
रहा है , वो उर्जा इश्वर की मौजूदगी का सबूत है, नहीं तो कौन आपका हृदय धड्काता और
कौन आपके भोजन करते समय श्वास नाली को बंद करता , कौन पेट को खाना पचाने के लिए
सिकुड़ने को कहता , कौन आपके सोते समय दिमाग की सारी बुरी यादो को हटाकर सुबह तक
अच्छी सोच देता .. इश्वर हर उस चीज में रहता है , जो स्वचालित है , नदियाँ , झरने
, समुद्र , पेड पौधे , सूर्य इसके जीवित उदाहरण हैं ,
धरती पर वानर आए वानर वही जिनकी अस्थियो को खोज से आज पुरातत्व
में हमारे जीवन के रहस्य उजागर हो रहे हैं , इश्वर उस समय भी था जब मोसेस को उसने मिस्र
में कैद अपने लोगो को आज़ाद करवाने के लिए
राह दिखाई , वो उन सभी लोगो को रास्ता दिखाता रहा , वो दिन के समय एक चक्रवात बन
कर उनके आगे आगे चला , और रात को एक अग्निववंडर बन कर अपने लोगो को उसने जन्नत की
दुनिया तक जाने में मदद की... इश्वर महात्मा बुध के विचारों से झलकता है , इश्वर
श्री गुरु नानक देव जी की वाणियो से झलकता है.. इश्वर वो जो मक्का मदीना में कावा
के इर्द गिर्द घुमते मुस्लिम भाइयो को रूहानी एहसास करवाता है , इश्वर क्राइस्ट के
चमत्कारों में था , इश्वर हिन्दू धर्म के वेदों से झलकता है , महान कृष्ण की भागवत
गीता में इश्वर की वर्णन है , इश्वर श्रृष्टि को चलाना चाहता है , मगर खुद के दम
पर नहीं , लोगो के दम पर , अपने उन तत्वों के दम पर , जिसे उसने सृष्टि निर्माण की
शक्तिया दी हैं , सृष्टि निर्माण के कार्य में समय समय पर तरक्की हुई है , सृष्टि
का सृजन ऐसा होता है , जिसकी शुरुआत काफी छोटी और तुच्छ रहती है , धीरे धीरे जीवन
पनपने लगता है , और चरम सीमा पर पहुँच जाता है , जीवन की धाराएं बहती रहती हैं ,
अंत इसका होना तो होता ही है मगर अंत से पहले का जीवन इतना आधुनिक हो जाता है, और
इतना विशाल हो जाता है की प्रकृति के तत्व , जिन्हें इश्वर ने जीवन निर्माण की
शक्तिया दी थी , वे ही बेकाबू हो जाते हैं ,
मनुष्य जीव-जंतु , ज्वालामुखी , सूर्य
, समुन्द्र ,धरती , पौधे , सब बेकाबू हो जाते हैं , हर तत्व इस घमंड में आ जाता है
की वह ही इश्वर है , इश्वर को तो अपने तत्वों पर पूरा भरोषा होता है , मगर तत्वों
की घमंडी सोच से जीवन का नाश होने लगता है , सब कुछ फिर उसी शून्य में समाने लगता
है ,पर इस लम्बे अंतराल के दौरान कई कुछ धरती पर घटित होता है , धरती पर मनुष्य
जन्म लेता है , आत्माओं का खेल शुरू होता है , मनुष्य के अन्दर सोच उत्पन होती है
, शोहरत की , अपने आप से जीने की , यही पर धर्म बनते हैं , यही पर धर्मगुरु बनते
हैं, जो जिस धर्मगुरु का अनुयायी बनता है वह उसी धर्म का हो जाता है , धर्म इश्वर निर्धारित नहीं करता , इंसान करता
है , मनुष्यों में इश्वर की भेजी ऐसी आत्माएं आती हैं जो बदलाव ले कर आती है , एक
इंसान पैदा होता है , आइंस्टाइन , एक न्यूटन , एक थामस अल्वा एडिसन , और ना जाने कितने
ही आत्माओं का जन्म होता है , इश्वर का कहना है , आत्माओं को इस क्रम में जन्म
लेना होता है , जिससे वक़्त की ज़रूरतें पूरी हो सकें , समय और जगह की ज़रूरतें पूरी
हो सके , उदहारण के लिए , कैसा रहता अगर माउस का अविष्कारक कंप्यूटर के अविष्कारक
से पहले जन्म ले लेता.. पहिये के अविष्कारक के पहले रेलगाड़ी का अविष्कारक पैदा हो
जाता .. इसे समय की पुकार कहा जाता है , जीवन समय के अनुकूल चलता है..
आत्माओं मे कलाएं
होती है हर आत्मा के पास अलग कला है , हर आत्मा की अलग रूचि है , अलग स्वभाव है ,
हर आत्मा का अतीत अलग है , इसीलिए हर आत्मा के स्वभाव , पसंद , नापसंद , में अंतर
है .. एक जगह जहाँ लोगो को पहनने को वस्त्र नहीं मिलते , वहां एक वस्त्रो की समझ
रखने वाली आत्मा जन्म लेती है , एक ऐसा देश जहाँ अर्थशास्त्र कमजोर है , वहां
अर्थशास्त्री का जन्म होगा.. मोहल्ले में आपको हर तरह का काम करते लोग मिल जाएंगे
, कोई वस्त्र बेचता है , कोई हलवाई , नाई , मोची , मांस बेचने वाला , जूते बनाने
वाला , घर बनाने वाला , खाना बनाने वाला , बिजली का सामान वाला , पूजा सामग्री
बेचने वाला , इलाज़ करने वाला , मशीने ठीक करने वाला , लकड़ी के काम करने वाला ,
सुनार , लुहार , ये सभी वक़्त की पुकार के
नतीजे हैं , जो आपके शहर में , आपको सहुलतें प्रदान करते हैं , कभी आपने सोचा है ,
दुनिया में सभी लोग वही काम क्यूँ ना करना शुरू कर दें , जिसमे मुनाफा ज्यादा हो ,
पर जेसा की मैने कहा हर आत्मा का स्वभाव अलग है , अलग माहौल ,अलग वातावरण में उसका
पालन पोषण हुआ , इसीलिए उसकी पसंद , नापसंद पर वक़्त का हाथ रहता है , आप जो करते
हैं वक़्त आपसे करवाना चाहता है , ताकि इश्वर की इस सृष्टि निर्माण में आपका योगदान
बराबर रहे.. आप के कार्य करने से पृथ्वी चलती है , पृथ्वी में जीवन की धारा बहती
रहती है , इसलिए आपका योगदान मायने रखता है ,आप जब समय की पुकार के विपरीत कार्य
करते हैं, चोरी डकैती , लूट , बलात्कार, हत्या , खून खराबा , देश द्रोह
,भ्रष्टाचार करते हैं , तो आपको समय इसका दंड देता है , इश्वर पर इसका इलज़ाम नहीं
लगाना चाहिए , ये कार्यो का दंड है , जेसा आप करते हैं आप वही पाते हैं , आप जेसा
सोचेंगे आप वही बन जाते हैं , आपके पास इश्वर की दी हुई एक कमाल की शक्ति है ,
आकर्षण की शक्ति जिससे आप किसी भी वस्तु , प्राणी को अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं
, ये शक्ति ही आपके सकारत्मक और नकारात्मक कार्य और सोच से सृजत होती है..
आपको अपने दिल और मन में हर पल आने वाले कार्य को करना है
बस , अगर आप उस कार्य को नहीं करेंगे , तो सृष्टि के निर्माण के कार्य में विलंभ होगा
, एक महिला जो एक अविष्कारक को जन्म देने वाली थी ,और उसे हस्पताल ले जाया जाता है
, हस्पताल में जो डाक्टर उसका प्रसव करवाने वाली थी , वह अभी तक हस्पताल नहीं
पहुंची , क्यूंकि उसे जिस बस से हस्पताल जाना था , वह बस नहीं आई ,वह बस का
ड्राइवर आज इसीलिए बस नहीं चलाने आया क्यूंकि उसका बेटा कल रात से घर वापिस नहीं आया
, और लोग उसे गुमशुदा समझ रहे हैं , अपहरण समझ रहे हैं , जबकि उसका बेटा तो सड़क से
सीधे सड़क से घर ही वापिस आ रहा था , अचानक सड़क पर पड़े केले के छिलके पर पैर पड़ने
से उसका पैर फिसलता है और पुल के टूटे हिस्से से नीचे बहती नदी में गिर जाता है , और
बहते हुए उसकी मृत्यु हो जाती है ,जिस केले को खाया किसी और ने था , मगर उसे साफ़
करने की जिम्मेवारी इश्वर ने एक कचरे वाले को दी थी , जो ये सोच कर सफाई करने नहीं
गया की उसका काम कितना छोटा है , वह तो तुच्छ है , उसका इस ब्रह्माण्ड में कोई
सम्मान नहीं है , वह बिलकुल भी सृष्टि निर्माण में योगदान नहीं दे रहा , पर वास्तविक
में वो अगर आज कचरा उठाने जाता तो एक
अविष्कारक का जन्म होता , पृथ्वी को नया
आविष्कार मिलता , पर डाक्टर की देरी से माँ बच्चा दोनों नहीं बचे , इसे ही सृष्टि
निर्माण में बाधा कहा जाता है , हर काम
छोटे से छोटा काम समाज में बड़े से बड़े काम के बराबर होता है , दोनों को बराबरी
मिलती है , और छोटा बड़ा सिर्फ सोच का नतीजा है ,
मंदिरों ,
गुरुद्वारों , मस्जिदों , गिरजाघरो में लोग अक्सर फरियादे ले कर इश्वर से मांगते
हैं , मांगते हैं और लगातार मांगते हैं , पर इश्वर अपनी सीमा से अधिक नहीं दे सकता
, ये उदहारण किसी देश के अर्थशास्त्र से समझा जा सकता है , देश की सरकार उतने ही
नोट छाप सकती है , जितने उसके पास प्राकृतिक और मानव संसाधन होंगे , अगर जरुरत से
अधिक नोट छापेगी तो मुद्रा में गिरावट आएगी , देश में महंगाई आएगी और इंसान एक
रोटी के टुकड़े को भी तरसेगा .. किसान धरती पर अनाज उगाता है मेहनत करता है , मेहनतनामा
पाता है , और अनाज सब्जियां बेचता है ,
सामान लाने ले जाने वाला भी सामान को ढोने के लिए मेहनतनामा लेता हैं ... गाड़ियां
से भरकर अनाज बड़ी दुकानों में पहुँचता है , वहां से छोटी दुकानों में फिर वहाँ से
सामान आप खरीद कर लाते हैं मेहनतनामा चुका कर, जो काम कर के आपने कमाया था , उसी
के बदले आप आज कुछ खा पा रहे हैं , ऐसा नहीं की किसान की मेहनत आपको जीवन दे रही
है , आपकी अपनी मेहनत आपको जीवन देती है ..
आपको अपनी मेहनत से अधिक पैसा नहीं लेना चाहिए क्यूंकि ये
पैसा आपका नहीं होता , ये किसी की मेहनत है , जो उस तक पहुँच कर रहती है , मनुष्य
को याद रखना चाहिए की किसी की मेहनत खाकर वह शांत नहीं रह पाएगा , बिमारी , लड़ाई –
झगडे , शराब , नशे , नुक्सान , के रूप में ये मेहनतनामा आपसे छिन जाता है ... और
उस इंसान तक पहुँच जाता है , जिसका वो होता है , आपकी हेर फेर भले ही आप इश्वर से
छुपा लें मगर पृथ्वी के पांचो तत्व जो जीवित हैं बिलकुल आपकी तरह , आत्मा हैं जिनके
भीतर भी वो ये सब कुछ देख रहे होते हैं , हवा आपके चारो तरफ है , विशाल समुद्र की
तरह है हवा , जिसके अन्दर आप समाए हैं , सूर्य की किरने आपको देख रही हैं , धरती
पर पड़ी धूल आपको देख रही है , नल से बहता पानी आपको देख रहा है , ये आग आपको देख
रही है , जो जीवन निर्माण के कार्यो में बाधा बन रहे तुम वेइमान इंसानों पर नज़र
रखे हुए हैं .. और तुम्हारा संहार करने से वे कभी पीछे नहीं हटेंगे, पांचो तत्वों
को सम्मान देना इन्सान का कर्तव्य है..
क्यूंकि इनके बिना हमारा जीवन असंभव है ..
मनुष्य को प्रेम की ताकत पर विश्वाश रखना चाहिए , क्रोध से
दूर रहना चाहिए स्त्री –पुरुष का जन्म
इसीलिए ही हुआ , स्त्री को सुन्दरता का वरदान मिला , फूलो को , झरनों को , महकते
गुलाबो को , पशु पक्षियों को नन्हे जीवो को कोमलता , नाजुकता का , सुन्दरता का ,
वरदान मिला , इसीलिए इन सभी को इंसान के मन में शांति और सुकून पहुंचाने के लिए
बनाया गया .. इंसान को प्रेम करना सिखाया ताकि मनुष्य कभी खुद को इतना बोझग्रस्त
ना समझे, अपने काम के साथ साथ उसे कुछ पल इश्वर की सुन्दर प्रकृति को देखने पर
बिताना चाहिए.. इसीलिए सूर्य और चंद्रमा को आसमान पर सुशोभित किया गया , चंद्रमा
जो सदियों से पृथ्वी की शुरुआत से पृथ्वी पर घट रहे हर बदलाव का जीता जागता गवाह है ...उसने
सब देखा है , जीवन निर्माण का हर पहलू देखा है.. आपको उसने हर गलत और सही काम करते
देखा है , क्यूंकि आप जेसे दिन को दिखते हैं, रात होते ही आप उसके विपरित बन जाते हैं ,
ये राज़ सिर्फ चंद्रमा को मालुम है , क्यूंकि
जीवन निर्माण की प्रक्रिया के लिए इश्वर ने मनुष्य को रात का समय दिया है.. आराम
करने का समय ,संभोग करने का समय , स्वादिष्ठ पकवान खाने का समय , ये एक तरह
का वह लुफ्त है जो उसने दिन भर कार्य किए है , उन सब का पुरष्कार होता है रात का
समय ,
पृथ्वी कर्म भूमि
है , यहाँ कितने महान लोग आए और चले गए , अपने कार्य कर गए , मानवता को अविष्कारों
, ज्ञान , बुद्धि , ताकत , प्रेरणा दे कर गए , जिससे समय चक्र चलता रहे , आप भी उन
में से एक हो सकते हैं ..वह सभी लोग जो
आपके सामने जी रहे हैं , आपके सामने ही
सबको मृत्यु आएगी .. सब इस संसार में अपना योगदान देने आते हैं .. और उन सब का
योगदान बड़ा महत्वपूर्ण होता है , आपको अपने जीवन साथी के प्रति कर्तव्यनिष्ठ रहना
है , वो आपको आपके जीवन की मुश्किल बाधाओं में साथ देगा , वो आपको ज्ञान देगा , आप
दो आत्माएँ मिल कर तीसरी आत्मा को जन्म देने जा रहे हो , या दे चुके हो , और इसी
से आप को एहसास होता है की इश्वर ने कितनी बड़ी शक्ति आप इंसानों को दी है , सृजन
करने की शक्ति , कुछ नहीं से कुछ बनाने की शक्ति , यदि गहरी सोच लगाईं जाए तो हम
इंसानों को दी गई शक्तियों का असर है जो हमने वीरान धरती में से खोद खोदकर क्या
कुछ नहीं बना लिया , कपडे , घर गाड़ियां , कलम , कागज़ , इश्वर की मूर्तियाँ , फ्रिज
, टेलीविज़न , कूलर ,ऐ. सी , जहाज , समुद्री जहाज , पुल , घडी जो की सबसे बड़ी खोज
मेरे नजरिए में है ,
एक ऐसी खोज जो हमारे जीवन निर्माण की गति दर्शाती है ,
सूर्य – चाँद की शक्ति को हमने अपने अनुकूल ढाल लिया है.. हमने वक़्त को एक परिभाषा
दी है , घडी के ज़रिये , वक़्त को हमने देखा है , घडियो में , केलेंडर में , जो हर
रोज़ बदलता है , और बदलता रहेगा.. कभी नहीं थमेगा , वक़्त के आधार पर हम अपने कल -आज
-कल को परिभाषित करते हैं , वक़्त ही है जो हमसे सब करवाता है , और इश्वर भी इसी
वक़्त की चाल पर चलता है , वक़्त और इश्वर
अलग नहीं हैं , अगर इश्वर आत्मा है तो वक़्त को आप उसका शरीर कह सकते हैं , ठीक
हमारी शरीर और आत्मा की तरह .. ये विधान बड़ा ज़बरदस्त है , जन्म मृत्यु को समझना
ज़रूरी है , इश्वर को संगीत के माध्यम से याद
करें , इश्वर संगीत की धुनों में बसता है , वक़्त की किताब में सभी इंसानों के पात्र
चरित्रों का पूरा वर्णन है , कौन क्या करेगा?? , किसे क्या करना चाहिए?? , किसने
क्या किया ??, किसने क्या नहीं किया?? , सब निर्धारित है , मनुष्य के पास चुनाव
करने की शक्ति है . जो इश्वर के इस जीवन निर्माण की गाथा में एक महत्वपूर्ण भूमिका
निभाती है , क्यूंकि मनुष्य को इश्वर कई विकल्प देता है और उस में से सही राह का चुनाव मनुष्य को करना
होता है , क्यूंकि इश्वर हर इंसान को अपनी आज़ादी से जीने को कहता है , वह ना ही
किसी एक धर्म का है .. वो एक है , सबका है , वो आप सब को कठपुतली नहीं मानता , वो
आप सब को खुद जेसा समझता है , वो आपको बराबर मौका देता है , वो आत्माओं से उम्मीद
करता है , की वो उसका साथ देगी मगर आत्माओ के खुद के गुण हैं , वो अपनी मर्ज़ी पर
चलती है ..
समय का विराट रूप सिर्फ उस जीवन तक ही सीमित नहीं , ये अपार
आकाशगंगाओं तक फेला हुआ है , जो की समझना बहुत जटिल है.. समय हर आकाशगंगा में एक
जेसा नहीं बहता ,वहां का जीवन भी उसी उर्जा से बना है जिससे हम बने है , फर्क इतना है की वहाँ के
तत्वों की समानता यहाँ के तत्वों से नहीं होती , सूर्य , हवा , जल , अग्नि , आकाश
के इलावा भी वहाँ कई तत्व पाए जाते हैं जो
जीवन बनाते हैं , इंसान के इलावा और भी प्रजातियाँ हैं जो विराट समय और इश्वर की
कोख में पनप रही हैं ..क्यूंकि समय की विराट सीमाएँ यहाँ भी खत्म नहीं होती,
पृथ्वी से लेकर सूर्य से लेकर मनुष्य तक , सभी पांचो तत्वों और कई आकाशगंगाओ के
दूर बसते जीवन के सभी तत्वों और प्राणियों को मिलाकर एक विशाल काया बनती है , जिसमे
हम सभी प्राणी , उस काया के अंगो का कार्य करते हैं , जहाँ एक आत्मा है , जो इश्वर
है ,और अणु परमाणु जिन्हें हम कहते हैं , जो आपकी कलम को बनाते हैं , आपके घर ,
कपडे, कंप्यूटर , सब को बनाते हैं ,आपकी दुनिया के हर छोटे से छोटे कण में बस्ती
उस उर्जा को आप वहाँ भी प्रवाहित होते देख सकते हैं , केसे न्यूक्लियस रुपी सूर्य
के इर्द गिर्द प्रोटोन और इलेक्ट्रान हैं , बिलकुल सौरमंडल के ग्रहों जेसे , हम
इतनी गहराई में कभी नहीं सोचते की जो सौरमंडल हमारे अन्दर है , हमारे छोटे छोटे
सेल्स में है , हमारी हर चीज़ जिस अणु परमाणु से बनी है , एक इलेक्ट्रान के चले
जाने से सकारत्मक चार्ज का आना , ठीक वेसा ही सौरमंडल में है , गुरुत्वाकर्षण , तो
आप कह सकते हैं की जो घटनाए अणु परमाणु के भीतर घट रही हैं आकर्षण की , वही घटनाए हमारे सौरमंडल में घट रही है , और वोही आकाशगंगा
में , हम जेसे अपने भीतर करोड़ो ब्रह्माण्ड समाये बेठे हैं , वहां के जीवो के लिए हम इश्वर हैं , ठीक उसी तरह
हम खुद एक अणु परमाणु का हिस्सा हैं ,दो सेल्स के जुड़ने से तीसरा सेल बनता है ,
उसी तरह हम हैं .. हम सब ग्रह , सूर्य आकाशगंगा मिलकर एक बड़ी काया को बनाते हैं , हमारे इश्वर की काया को , पर
मैं इससे आगे नहीं जाने वाला क्यूंकि ये और अधिक जटिल होता चला जाता है , हम जेसे बुद्धि
जीवो को इतनी बड़ी सोच देखकर छोटापन महसूस होने लगता है , पर वास्तविकता वही तक
सीमित है , कि आपका किया हर छोटे से छोटा
कार्य एक बड़ी आकाशगंगा के निर्माण में योगदान दे सकता है , हम सब प्राणी एक दुसरे
पर निर्भर हैं और एक दूसरे से एक धागे में पिरोए मोतियों के समान जुड़े हुए हैं .. आप
इश्वर के चहेते हैं , क्यूंकि आप उसका अंश हैं , वो आपसे अलग नहीं है , इश्वर के
इस ब्रह्माण्ड में सबकी बराबर एहमियत है ,
हमारा किया हर गलत कार्य तत्वों को आप पर क्रोध करने करने पर मजबूर करता है ,
इश्वर के इशारों को समझे , उन्हें नज़रंदाज़ ना करे , समझें की वो आपसे क्या करवाना
चाहता है , आखिर आपका जन्म किसी ख़ास मकसद
के लिए हुआ है , बेकार पड़े रहने के लिए तो हरगिज़ नहीं हुआ , वो आपसे एक बड़े महान
कार्य में योगदान चाहता है... वो आपकी मेहनत का मेहनतनामा देता
है.. इसीलिए की आप और मेहनत करें , वो आपको बराबर दिन और रात देता है , रात
को सपने देकर अपनी शक्तियों से आपको तंदरुस्त करता है...
आपका इश्वर महान है , वो नहीं चाहता की आप धर्म जाती जेसी
छोटी छोटी बातो पर लड़े... वो नहीं चाहता कोई इंसान दूसरे इंसान को हानि पहुंचाए ,
वो नहीं चाहता की धरती पर बलात्कार हो , किसी आत्मा को शारीरिक या मानसिक रूप से
दुःख पहुंचाया जाए वो नहीं चाहता ऐसा इस धरती पर हो ... वो नहीं चाहता की इंसानों
में फूंट डले.. इंसान सबसे समझदार प्रजाति है , जिस पर उसे नाज है , वो चाहता है कि
हर तरफ प्रेम की उर्जा का प्रसार हो , वो मुश्कुराते चेहरे देखना चाहते है , वो हर
इंसान को भोजन देना चाहता है , वो किसी को भूखा नहीं देखना चाहता..
वो कहता है की उसने जिन महान आत्माओं को धरती पर भेजा ..
मनुष्य उन आत्माओं की सीख पर अमल करे , नया धर्म बनाने के लिए उसने नहीं कहा , वो
यहूदियों पर हुए अत्याचार पर दुखी है , हिन्दू मुस्लिम सिखों के दंगो से उसे बहुत
चोट पहुंची है उसे , वो खुद जख्मी होता है जब जब इंसानियत का शोषण होता है , वो
आतंक फेलाने वाले जिहादियो से कहता है की जन्नत की जो वो ख्वाइस रखते हैं , उन
क्रूर पशुओ को नरक की आग के सिवा कुछ नसीब
नहीं होगा ,ऐसा वो वादा करता है .. वो खुद जख्मी होता है , क्यूंकि हम सब उसका ही
तो अंश हैं , वो उन चंद अंग्रेजो द्वारा किये भारतीयों पर अत्याचारों पर क्रोधित
है ,वो आतंक फैलाने वाले आतंकियों से क्रोधित है क्यूंकि वो उसकी बताई पाक कुरान
पर अमल नहीं करते और उसका गलत मतलब निकल रहे हैं.. जहाँ इंसान ही इंसान की हत्या
करे वो राह इश्वर ने नहीं दिखाई , वो उन सभी लोगो पर खफा है जिसने तिब्बत के लोगो
को दुःख पहुंचाया ..उन्हें उनके इश्वर से अलग किया ..वो विश्व युद्ध के दौरान बहुत
ज्यादा लाचार और दुखी हो गया था .. उसे हम इंसानों पर बहुत ज्यादा भरोषा है , हम
ही उसके साथ खड़े हैं सदियों से , वो हर इंसान को एक मानव एक देशवासी , एक नागरिक
से पहले , एक पृथ्वीवासी के रूप में देखना चाहता है ,
उसके तत्वों से भी वो खफा है , जो इंसानों पर कहर ढाते हैं
, सुनामी , भूकंप , बर्फ़बारी , बाढ़ , तूफ़ान
के रूप में,.. पर वो तो सिर्फ अपना कार्य कर रहे हैं , दंड देना उनका
अधिकार है , वो इश्वर की सहनशीलता अपने अन्दर नहीं रखते , अगर आप किसी पर अत्याचार
करते हैं , तो निसंदेह , अग्नि की क्रोध का शिकार बनेंगे या पानी के प्रचंड रूप का
शिकार बनेंगे , आप किसी का पैसा खाते हैं तो कल आपका पैसा खाया जाएगा .. पृथ्वी
आपको बिमारी देगी .. आप से आपकी आत्मा छीन ली जाएगी , मैं आपको डरा नहीं रहा , मैं
तो मात्र आपको आगाह कर रहा हूँ की इश्वर
की सृष्टि में क्या क्या होता है ,आप चाहे कितने भी बुद्धिमान क्यूँ ना बन जाए ,
आप इश्वर को चुनौती नहीं दे सकते , इश्वर कभी किसी को नुक्सान नहीं पहुंचाते ,
जेसे आप कभी अपनी ऊँगली नहीं काटना चाहेंगे तेज़ हतियार से ठीक वेसे ही इश्वर कभी
अपने अंशो को नुक्सान नहीं पहुंचाते, मगर कई बार उसी ऊँगली में अगर बिमारी घर कर जाए
, इन्फेक्शन हो जाए तो काटनी भी पड़ती है , ..पर पृथ्वी के तत्व ही आपको नुक्सान
पहुंचाएंगे अगर आप वक़्त की धारा क विपरीत
चेलेंगे तो , इश्वर पर दोष नहीं देना है ..
सबका कल्याण होना चाहिए , प्रेम का प्रसार होना चाहिए , इंसानों को इश्वर से डरना नहीं है
, उससे प्रेम करना है , एक मित्र की तरह , भागवत गीता , रामायण , वेद पुराण ,कुरान
, गुरु ग्रन्थ साहिब , बाइबल , तिपिताका और अन्य सभी धर्मो की धर्म ग्रंथो को हम
इकठा कर के उनके एक एक अक्षर को समझना चाहिए , उससे हमें इश्वर को समझने में मदद
मिलेगी उसके राज़ पता चलेंगे , सभी वैज्ञानिक अविष्कारों की कार्य करने की विधि
जाननी चाहिए ,क्यूंकि उन विज्ञानिको ने कुछ ऐसा कर दिखाया है जो असंभव लगता था कभी
..हमे जिज्ञासु बनना चाहिए , मानव कल्याण करने वाली संस्थाओं से जुड़ना चाहिए ,
अपना मानसिक विकास करना चाहिए , और उस ज्ञान को ज़िन्दगी में अमल करना चाहिए ,
दिमाग में पड़ा पड़ा वो ज्ञान आपको कोई लाभ नहीं देने वाला .. आपका जन्म अपना मानसिक
विकास कर के सामजिक विकास कर के विश्व से लेकर ब्रह्माण्ड के विकास करने के लिए
हुआ है .. घटिया अश्लील और मानव देह को
नुक्सान पहुंचाने वाले कार्य करने के लिए इंसान का जनम नहीं हुआ है , हमें
उत्सुकता बढानी चाहिए , ज्ञान पाने के लिए , हमें अपनी सरकारों को सही कार्य करने
के लिए जोर देना चाहिए , ताकि समूचे देश का विकाश हो एक साथ ..हमे इश्वर के खिलाफ
कभी नहीं जाना चाहिए , इश्वर हमारा सब कुछ है , उसे हमारी ज़रूरत है, हमे उसकी
ज़रूरत है , उसने कहा है की वो धरती पर नज़र घुमाता है तो उसे सुकून मिलता है ,
इंसानों को मेहनत करते देख , उसने हमें निर्भय होकर , वक़्त से बिना डरे , अपना काम
करने को कहा है , वो काम सिर्फ वही काम जो उसने आपको बार बार सपनो में दिखाया है ,
बार बार आपको जो काम करने के लिए प्रेरित किया है , वो काम जिससे हर किसी को आप पर
नाज़ हो , खासकर आपको खुद पर नाज़ हो , और इश्वर को आप पर..
चलता हूँ इश्वर के साथ बहुत बातें हो गयी , ये सब बातें आप
भली भाँती जानते थे , मगर आपको आज वोही बातें इश्वर फिर से याद करवाना चाहता है ,
क्यूंकि आप अपने मकसद से भटक रहे है ,ज़रा खुद पर नज़र दौडाए और पूछे खुद से की आप
का जन्म क्यूँ हुआ है ?? आपको जवाव मिलेगा ..आप के अन्दर वो बात है तभी आप आज इस ज्ञान को पढ़ रहे है , आपको इन बातो
पर अमल करना है या नहीं ये तो आपको इश्वर ने चुनाव करने को दिया है , मेरा काम था
इश्वर के इस पैगाम को आप तक पहुंचाना.. और इस पर मुझे भी नाज है , और मेरे इश्वर
को भी, आशा है आपके सभी जवाव आपको मिल गये होंगे , अगर नहीं मिले तो अपनी
अंतरात्मा में एक बार झाँक कर देखे ज़रूर मिलेंगे ....
आपका अपना कवि
$andy poet