Monday, 21 August 2017

आज ईश्वर ने धरती को जलमग्न क्यों किया ?? :)

ईश्वर सबसे महान है , और ये बात अक्सर हम इंसान भूल जाते हैं और खुद को महान समझने लगते है,हम ईश्वर की पैदाइश हैं। उसने हमें बनाया है, उसने ही हमारे कबीलों को हर तरफ दुनिया मे फैलाया है , उसने ही हमे ये धरती रहने को दी है, उसके एक इशारे से वो तूफान ले आता है, उसके एक इशारे से प्रचंड बारिश होती है देश तबाह हो जाते हैं । उसका क्रोध प्रकोप जब इंसानो पर पड़ा है इंसानो ने उसकी ताकत को महसूस किया है वो चाहे आग के गोले बरसाए , चाहे हिम युग ले आये, प्लेग जैसी भयानक बीमारी फैलाए , या पूरी की पूरी पृथ्वी को जलमग्न कर के उसका नाश कर दे, उसकी दृष्टि में जब इंसान उसके कहने अनुसार नही चलता तो प्रलय आती है , आज का दिन भी कुछ ऐसा ही था जब मुझे एहसास हुआ कि किस तरह हम ईश्वर को दिन प्रतिदिन अनदेखा किए जा रहे थे , लोग अपने कामो में इतने व्यस्त थे कि उनके पास ईश्वर से बाते करने की फुरसत ही नही, या यूं कह ले कि वो खुद को ईश्वर से आगे ले जाना चाहते हैं । ऐसी इंसानियत देखने को मिल रही थी कि कोई किसी से मतलब नही रखता, घोड़े गधो की तरह दिन रात भाग दौड़ , दफ्तर से घर और घर से दफ्तर । ईश्वर की दृष्टि में समाज ऐसा ना था वो चाहता था कि सब लोग प्रेम से एक दूसरे का हाल चाल पूछते दुनिया मे जीवन व्यतीत करें । उसके लिए ईश्वर धरती पर चमत्कार करता है प्रलय लाता है ताकि हम इंसानो को एक दूसरे की एहमियत का एहसास हो सके। जब आज बाढ़ आई तो सब इंसान एक दूसरे के स्नेही हो गए ,अनजान लोग अनजान लोगों से हस कर बातें कर रहे थे , ज्युकर आज सब रास्ते मे फंस गए थे, गाड़िया ईश्वर ने सबकी बन्द कर दी थी, पानी आधे शरीर तक था पर लोग खुश थे , क्योंकि वो ऐसी बकवास ज़िन्दगी ज़ी कर ऊब चुके थे उन्हें कुछ पल ऐसे चाहिए थे जैसे उन्होंने बचपन मे बिताये थे, ईश्वर ने सबको आज वैसे ही पल दिए ताकि सब लोग दफ्तर की थकान से दूर कुछ पल मजा कर सके समझ सकें कि दफ्तर की दुनिया प्रोजेक्ट्स ही सब कुछ नही होती , इससे बाहर भी दुनिया है, जिसमे बहुत सकून है । ईश्वर ने तो धरती को सिर्फ एक ही बार जल मगन किया था जब उसने धरती के चंद अच्छे इंसानो को छोड़ बाकी पूरी दुनिया को पानी मे जलमग्न कर दिया था बाइबिल के उत्पति अद्याय में उसने साफ साफ लिखा है
तब मेरी जो वाचा तुम्हारे और सब जीवित शरीरधारी प्राणियों के साथ बान्धी है; उसको मैं स्मरण करूंगा, तब ऐसा जलप्रलय फिर न होगा जिस से सब प्राणियों का विनाश हो।
जिससे साफ जाहिर होता है ईश्वर हमे डरा सकता है मगर हमे खत्म कभी नही करेगा दुबारा। वो सिर्फ हमे एक साथ देखना चाहता है। और खुश देखना चाहता है। ऐसा हो क्यों ना हम हर रोज लोगो की मदद इसी तरह करे जब हम प्रलय आने पर करते है तो जीवन कितना आनंदमय हो जाएगा। कितना अच्छा रहे अगर हर रोज हम उस बचपन वाली खुशी को ज़ाहिर होने दें, किसी से बिना हिचकाए बात करे और "लोग क्या कहेंगे "वाला ख्याल मन से निकाल कर मस्त हो कर ज़िन्दगी के हर पल का मज़ा ले। ईश्वर धरती को अब कभी जलमग्न नही करेगा पर आज जो उसने अपना प्रकोप दिखाया है । हर महंगी से महंगी गाड़ी को उसने डुबाया है हर अमीर को नंगे पैर कीचड़ में चलवाया है, लोगो को हसाया है, तो कही रुलाया है ये सब इसीलिए हुआ कि ईश्वर बताना चाहता है कि मैं आज भी विद्यमान हूं। मैं आज भी तुम्हारा पिता हूं, जिसने तुम्हे जन्म दिया है। ये प्रलय करना मेरा दाये हाथ का खेल है। ये दुनिया मेरे अनुसार चलती है ना कि तुम इंसानो के अनुसार। देखा ना किस तरह मैंने तुम्हें नंगे पैर चलने पर विवश किया, ऐसा नही की मैं तुमसे नफरत करता हूं, कारण बस यही था कि मैं तुम्हारा पिता हूं और तुम्हे दंड देना खुशी देना ये मेरा कर्तव्य और धर्म है।
$andy poet

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