Monday, 9 October 2017

आय हाय ज़िन्दगी 😢😢

आय हाय ज़िन्दगी 😢😢

हर पल की आज़ादी मिल जाए , ऐसा मुकद्दर अपना नही,
ये ज़िन्दगी है, यहां सब सच होता है,है ये कोई सपना नही।
यहां अगर जीना ना चाहो तो भी हमको जीना पड़ता है,
गम भुलाने के खातिर मज़बूरी में दोस्तो पीना पड़ता है।
कोई पूछता नही हाल हमसे ,खुद ही सबको बताना पड़ता है,
सताता नही कोई आशिक़ हमारा,खुद ही खुद को सताना पड़ता है।
राह चलते कभी कोई मिलता है,दो लव्ज़ बोल लेते हैं,
पुरानी हवेली के बंद पड़े दरवाजे जैसे इन होंठो को खोल लेते हैं।
कोई लड़की दिखे सुंदर सी तो दिल में हल्ला हो जाता है,
उजड़ चुका दिल का गांव ,हस्ता खेलता मुहल्ला हो जाता है।
जैसे ही वो जाए मुहल्ले में फिर खामोशी छा जाती है,
बैठे बैठे खामोशी फिर हमारी सब खुशियां खा जाती है।
ना जाने क्या ज़िन्दगी में कर रहे हैं, हर किसी से डर रहे हैं,
एक शायरी के सहारे जी रहें है,जीते जी भी देखो मर रहे हैं।
रात को आसमान को देख कर कभी कभी मैं सोचता हूँ,
दिमागी ख्यालो में उलझ कर बाल अपने नोचता हूँ।
कमाते हैं खाते है, किश्तों पे किश्ते अनगिनत भरते जा रहे हैं,
अरमान वो सपने जो देखे वो भी दिन प्रतिदिन बिखरते जा रहे हैं।
वो समय का पहिया लगातार बिन रुके देखो कैसे घूम रहा है,
पागल मन कभी भूत कभी भविष्य की यादों में बस झूम रहा है।
याद नही कब मायूस हुआ , कब मैं किस पल हँसा आज।
क्या खबर कब सांस थम जाए, लोग कहेंगे जाने कोन बेचारा चल बसा आज।
ज़िन्दगी की लगाम ना रही मेरे पास,मैं तो इस गाड़ी का भैया एक सवारी हो गया,
ये ज़िन्दगी का पलड़ा तो अपनी सोच से भी कुछ भारी हो गया।
हस्ती रही ज़िन्दगी जब तक ज़िन्दगी में प्यार मेरा मौजूद था,
उसके होने से ही मेरी हस्ती थी, था मेरा वज़ूद था।
ना प्यार रहा ना ,ना खुशियां रही, रही कसर ना अपने रहे,
ले जा खुदा अब तो इस जहां से मुझे, ना मैं रहा ना मेरे सपने रहे।
$andy's

sandypoet143.blogspot.in

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