गुड्डू उस्ताद नाम तो सुना ही होगा आपने .. नहीं भी सुना तो सुनो ,
गुड्डू उस्ताद 8 साल का लड़का , सुबह 5 बजे उठता है , उठते ही माँ के पीछे साए की
तरह चल पड़ता है , पिता जी है नहीं , माँ ही माँ है , माँ ही पिता है, ना कोई भाई
ना बहन , माँ घर घर जा कर सफाई करती है , झाड़ू पोंचा ,बर्तन साफ़ कर अगले घर की और
निकल जाती है , 12 बजे तक उन्हे पूरे 7-8 घरो में यही काम दोहराना होता है..गुड्डू
माँ के पीछे पीछे, माँ का दुपट्टा पकडे हर घर में जाता है , और छोटा मोटा काम कर
देता है जेसे , झूठे बर्तन पकडाना , पोंछे वाले पानी में फिनाइल डालना , और छोटी
मोटी साफ़ सफाई , इन नन्हे हाथो की इतनी मदद भी काफी होती है माँ के लिए , पर माँ-
बेटे के लिए सबसे बड़ी बात तो यही की माँ की आँखों के सामने है बेटा, और बच्चे के
सामने माँ ...
मीना , गुड्डू की माँ , अभी 27-28 साल उम्र , विधवा और घर की रोज़ी
रोटी वोही चलाती है ,
मीना एक मालिक के घर पोंछा लगाते हुये गुड्डू को टोकते हुये बोली ,” गुड्डू ना बाबा उधर नहीं जाने का गीला है
फर्श , गन्दा हो जाएगा , ऊपर बेठो थोड़ी देर “
और गुड्डू शरीफ भोला भाला बच्चा मासूमियत भरी आँखों से माँ को देखता
हुआ सोफे पर बैठ जाता है बोलता है , ‘माँ ये कुर्सी बहुत गुदगुदी है , एक तुम मेरे
लिए भी ला दोगी?? “ माँ मुश्कुराते हुये अपनी गरीबी के हालात पर हस देती है और
दिलाशा देते हुये कहती है ,” क्यूँ नहीं बेटा इससे भी बढ़िया कुर्सी लायेंगे हम
गुड्डू आराम से सोयेगा उसमे फिर... गुड्डू
का छोटा सा दिमाग माँ के झूठे दिलासे को कहाँ समझ पाता और खुश हो जाता है .. दिन
भर काम कर के शाम को दोनों घर जाते हैं ..एक टूटी सी खोली में घुसते हैं और माँ
खाना बनाने में व्यस्त हो जाती है , गुड्डू उस्ताद स्कूल तो जाता नहीं था .. माँ
से पुछा ,” माँ मैं बिट्टू , और छोटू के साथ खेलने जाऊं??
माँ ,” खाना नहीं खाना क्या ??”
गुड्डू अपनी प्लास्टिक की गेंद उठा कर कहता है ,” तुम मुझे आवाज लगा
लेना मैं आ जाऊँगा “
गुड्डू छोटू और बिट्टू के साथ मार्किट में चला जाता है, एक मालकिन का
लड़का उसे रास्ते में मिलता है , एक रेस्तरा के बाहर नूडल्स खा रहा होता है ,
गुड्डू उसके पास जाता है और उत्सुकतापूर्वक आवाज लगाता है , “रोहन
भैया” ..
रोहन गुड्डू को देख मुह फेर लेता है, ..गुड्डू पास गया .. उसकी कमीज
खींचता हुआ बोला ,” रोहन भैया मैं हूँ गुड्डू “ रोहन गुस्से से बोलता है ,”ओये क्या कर रहा है .भाग
यहाँ से .. गुड्डू फिर से उत्सुकतापूर्वक पुछा ,” ये क्या खा रहे हो ??? “ छी छी
केंचुए ... ओये बिट्टू ओये छोटू देख रोहन
भैया केंचुए खा रहे हैं ...और उलटी करने का नाटक करता है ... रोहन को गुस्सा आता
है और भरी हुई नूडल की प्लेट गुड्डू के सर पर उड़ेल देता है , बिट्टू और छोटू तो
भाग खडे होते हैं , और गुड्डू अपने सर पर केंचुए जेसे नूडल देख कर डर जाता है और
उन्हे झाड़ता हुआ जोर जोर से रोने लग जाता है , भागता हुआ घर जाता है , माँ की टांग
से लिपट कर रोने लगता है , माँ डर जाती है
मीना ,” गुड्डू क्या हुआ बच्चे ..क्यूँ रो रहा है .. बता ना ...क्या
हुआ तुझे ...???
गुड्डू रोते हुये सारी बात बताता है , “ केंचुए माँ केंचुए गिरा दिए
रोहन भैया ने मुझ पर ...
माँ तो समझदार होती है , बच्चे भोले होते हैं और यही भोलापन माँ को
हस्सी दिलाता है , ख़ुशी देता है , मीना हस पड़ती है..
और गुड्डू के गाल खेंचते हुये उसे गले लगा लेती है ,” कितना भोला है
रे तू .. ज़रूर तुने ही कुछ किया होगा पहले ...
गुड्डू रोता रहा , फिर माँ ने उसके सर पर पडे नूडल्स में से एक उठाया
और हाथ में लेते हुये दिखाया ,” गुड्डू ये देख ये केंचुआ नहीं है , इसे नूडल कहते
हैं, ये खाने की चीज़ होती है , मीना ने उसे नूडल को मुह में डाला और सांस अन्दर
खेंचते हुये गया नूडल पेट में . गुड्डू का रोना कुछ कम् हुआ ,
मीना एक और नूडल उठाती है और गुड्डू को पकडाती है ,’ चल तेरी बारी
जेसा मैने किया वेसे ही करना ठीक है ,...चल एक साथ ...
गुड्डू का डर थोडा कम् हुआ और माँ को देखते हुये माँ पर भरोषा रखते
हुये दोनों एक साथ नूडल खाते हैं ... और गुड्डू पहला नूडल खाता ही उसके स्वाद का
दीवाना हो जाता है ..
गुड्डू के आंशुओ भरे गालों पर हस्सी आती है ,” अरे वाह माँ ये तो बहुत
स्वाद है ..
मीना को ख़ुशी होती है की उसका बेटा कुछ नया सीखा ..अपने डर पर काबू पा
सका ...
गुड्डू अब से रोज़ उसी गली से निकलता और नूडल्स की सुगंध उसे मोह लेती
थी .. एक दिन वो पूछ ही बेठा..
“ अरे ओ भाई ये लूडल कितने का आता है??”
“ बोलना सीख ले पहले फिर पूछना “ रेस्तरा का बाबर्ची बोला
गुड्डू बोला ,” बताओ ना चाचा कितने का है??
नूडल वाला ,” फुल प्लेट 40 और हाफ प्लेट 20... ये देख ये छोटे वाला
हाफ प्लेट और ये भरा हुआ फुल प्लेट समझा ..खाना है तो निकाल पैसा नहीं तो कट ले
पतली गली से .. समझा क्या ????
गुड्डू दिमागी हिसाब किताब लगाने में व्यस्त था , गुड्डू भाग कर घर
गया ,” माँ माँ 20 रुपया दो ना ...लूडल खाऊंगा “ माँ हैरान हो गयी बेटे के मुह से ऐसी ख्वाइस सुन कर
... माँ बोली ,” बेटा ये नूडल लूडल बडे लोगो के चोचले हैं , हम तो 20 रूपये से दो
वक़्त की सब्जी खरीद लेते हैं ..आज की महंगाई में 20 रूपये अमीरों के लिए तो कुछ भी
नहीं पर हम जेसो के लिए तो 1000 रूपये से कम् नहीं है ... बेटा ये ले एक रुपया अभी
तो मेरे पास यही है , तू कुछ और खा ले .. रामदीन चाचा की दूकान में नया चत्पताका
आम पापड़ आया है जा वो ले आ ... बहुत स्वादिस्ट होता है , मुह में पटाखे फूटते हैं
खाते ही ....
पर गुड्डू तो नूडल के स्वाद में इतना डूब चुका था की ठान चुका था की
अब हो ना हो हाफ प्लेट नूडल तो खा कर ही छोड़ेगा...एक रुपया उसने संभाल कर रख लिया
... दिन बीतते गये ... तीन चार दिन में माँ से एक रुपया मांग लेता ,” माँ चत्पताका
आम पापड़ खाऊंगा एक रुपया दो ना ..” नूडल खाने की चाह में वो इतना बेचैन हो चुका था
की , माँ से छुप छुपा कर लोगो की गाड़ियों के शीशे साफ़ कर एक दो रूपये कमा लेता था
..पूरे 2 महीने लगे उसे 20 रूपये इकठा करने में , और सब एक एक रूपये के सिक्के ...
गुड्डू का वो दिन बहुत ख़ुशी का दिन था .. गुड्डू रात को सो नहीं पाया की कल वो हाफ
प्लेट नूडल खाएगा ... सुबह हुई ...
माँ जल्दी चलो ना आज तुम्हे काम पर नहीं जाना क्या “ पर माँ आज बीमार
थी ...
मीना करहाते हुये बोली,” आज मुझे बुखार है , मै नहीं जाउंगी काम पर“
“दवाई क्यूँ नहीं ले लेती????” गुड्डू गुस्से से बोला ...
मीना को गुड्डू के ऐसे जवाव से गुस्सा आता है और वो
ताना मारते हुये कहती है ,” पेसे क्या तेरा बाप देगा मुझे दवाई के लिए , एक फूटी
कौड़ी भी नहीं मेरे पास , कहाँ से लाऊं दवाई मैं ?? बता ??? चुप क्यों खड़ा है ???”
वो उससे बड़ों जेसा वर्ताव कर रही थी , मानो गुड्डू 8 साल का नहीं 18
का हो .. मीना टूटी खोली में बीमार बिस्तर पड़ी है , दरवाजे से हलकी रौशनी आ रही है
, और गुड्डू वहीँ खड़ा दरवाजे के पास और देखते ही देखते गायब हो जाता है , मीना
करहाते हुये आवाज लगाती है ,” गुड्डू.........रुक जा कहाँ जा रहा है ??” पर गुड्डू
जा चुका था ...
हाथ में 20 सिक्के गुड्डू गहरी संकट में ,”
दवाई या हाफ प्लेट नूडल ??? दवाई ले लेता हूँ माँ बीमार है , पर नूडल ..दुबारा
इतना पैसा इकठा करने में बहुत समय लगेगा ..गुड्डू सचमुच 18 साल के बच्चे जेसा
सोचने लगा ... आखिर वो अपना मन मनाकर एक मेडिकल स्टोर से दवाई खरीद लाता है , ये
बहुत बड़ी कुर्बानी थी एक 8 साल के बच्चे के लिए ...
“ माँ देखो दवाई लाया हूँ , उठो अब तुम अच्छी हो जाओगी , लो दवाई खा
लो माँ , मैं तेरे लिए लाया हूँ ...” गुड्डू पानी का गिलास भरते हुये बोलता है
... “ पेसे कहाँ से आये तेरे पास “
मीना चौंक कर बोली ..अब्दुल चाचा से उधार लाया हूँ माँ , कहा थोडे दिन में दे
देंगे पेसे..”गुड्डू सफेद झूठ बोलता है एक दम दूध जेसा ... मीना बुखार की हालत में
थी कुछ बोल ना पायी और दवाई खा कर सो गयी ...
गुड्डू पूरा दिन सोचता रहा की उसके पेसे गये , अब दुबारा ज़दोज़हत करनी
पड़ेगी ... अगले दिन मीना स्वस्थ हो जाती है , वो वापिस काम पर जाती है ..दिन बीत
गये गुड्डू वोही आम पापड़ के बहाने और लोगो की गाड़ियों के शीशे साफ़ कर कर के आखिर
फिर 2 महीने में हाफ प्लेट नूडल के लिए 20
सिक्के जुटा लेता है.. आखिर वो दिन आ ही गया, वो सोया सॉस की खुसबू उसके दिल ओ
दिमाग को भा चुकी थी.. माँ के साथ उसी रेस्तरा वाली गली से गुज़रा .. माँ को अब्दुल
की दुकान दिखी उसे याद आया की दवाई के उधार के पेसे वापिस लौटाने हैं
“ गुड्डू माँ से हाथ छुडा कर रेस्तरा की तरफ भागने लगा , जेसे दिल
वाले दुल्हनिया में शाहरुख़ काजोल की तरफ दौड़ता है ठीक उसी तरह .
माँ बिना उसकी तरफ ध्यान दिए ,अब्दुल से जा कर कहती है ,” अब्दुल चाचा
ये लो 20 रूपये 2 महीने पहले गुड्डू दवाई ले कर गया था ना “
अब्दुल हैरानी से बोला ,” पर मीना बहन वो तो पेसे दे कर ही दवाई ले कर
गया था ...”
मीना ने इतना सुना ही था इससे पहले की वो कुछ सोच पाती एक तेज़ आवाज़
आती है ...और सिक्को के ज़मीन पर गिरने की आवाज आती है
मीना मुड कर देखती है तो गुड्डू एक गाड़ी से टकराकर बोनेट से उछल कर गाडी की छत से लुडकता हुआ पीछे गिरा पड़ा होता
है , सिक्के अभी भी सड़क पर लुडकते हुये जा रहे थे ..
“गुड्डू......” मीना की एक दम से चीख निकल जाती है ...
गाडी से एक नारंगी साडी में एक औरत निकलती है, जो की किसी अमीर घराने
की बहु प्रतीत होती है , भागते हुये गुड्डू के पास जाती है..
मीना ,” हे डायन ये तुने क्या कर डाला ??? मेरे गुड्डू को ...मेरे
गुड्डू को गाडी से उड़ा दिया .. मीना उस अमीर औरत के बाल नोचने लग जाती है.. गाडी
वाली औरत शांत स्वभाव की थी , वो कुछ नहीं बोली लोगो ने मीना को हटाया.. फटाफट
गुड्डू को उठाया और गाडी में सुला दिया ..गुड्डू के पैर से लाल खून बह रहा था.. ..
मैं वहां भीड़ में खड़ा उन बिखरे सिक्को में गुड्डू के हाफ प्लेट नूडल खाने के ख्वाव
को बिखरा हुआ देख रहा था..मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था की उस बच्चे का सपना अधूरा ही
ना रह जाए,.
मीना गाडी में बेठी .. और गुड्डू को फटाफट हस्पताल ले जाया गया ..
“कोन हो तुम मेरे बेटे को क्यूँ मारना चाहती हो “
उस औरत का नाम शकुंतला था , वो भी एक विधवा अकेली औरत थी ..पर नौकरी
पेसे वाली थी ... वो बोली ,” देखिये बहन जी मेरी इस में कोई गलती नहीं आपका लड़का
एक दम से मेरी गाडी के सामने आ गया .. और में उसे देख नहीं पायी .. मुझे माफ़ कर
दीजिये..और वो फूंट फूंट कर रो पड़ी “
डॉक्टर आते हैं ,”गुड्डू की हालत नाज़ुक है काफी खून बह चुका है टांग
से , और फ्रैक्चर भी हो चुकी है टांग ..” मीना इतना सुनते ही सकुन्तला पर टूट पड़ी
,” सुन अगर मेरे गुड्डू को कुछ हुआ ना मैं तुझे जिंदा नहीं छोडूंगी” मीना और
शंकुतला तीन चार दिन तक लगातार हस्पताल में ही रहे .. चोथे दिन डॉक्टर आया ,”
बच्चे की हालात में सुधार आया है , पर वो कुछ खा नहीं रहा, आईये आप मिल सकते हैं
उससे ,
गुड्डू अब ठीक था पैर पर प्लास्टर था और ठुड्डी पर भी चोट थी ..नन्ही
आँखें एक टुकुर देख रही थी.. मीना प्यार से पुचकारती है , और सर पर हाथ फेरते हुए
पूछती है ,” क्या खाएगा गुड्डू?? “ चावल ??? सब्जी ?? तू कहे तो आम पापड़ लाऊ तेरे
लिए .. गुड्डू ने सर हिलाते हुए अपनी चोट लगी ठुड्डी से हलकी आवाज में बोला ,” हाफ
प्लेट नूडल “ सब के चेहरे पर मुस्कान आ गयी .. शकुन्तला ने फ़ौरन हाफ प्लेट नूडल
गुड्डू के लिए मंगवाए और आखिरकार .. वो सपना उसके सामने था ..माँ ने खुद उसे अपने
हाथो से हाफ प्लेट नूडल खिलाया ,वो सोया सॉस की महक उसके मुह से होते हुये दिल में
उतर गयी .. उसे वो स्वाद बहुत भा चुका था.. वो बात अलग थी की वो हाफ प्लेट का आधा
हिस्सा भी नहीं खा पाया ..पर सपना तो सपना
था..
1 हफ्ते बाद गुड्डू को हॉस्पिटल से छुट्टी मिली , शंकुंतला चाहती थी
की उसका अकेलापन दूर हो जाएगा अगर गुड्डू और मीना उसके साथ उसके घर पर रहे ..पहले
तो मीना मना करती रही ,लेकिन गुड्डू से पुछा तो उसने कहा ,” अगर रोज़ हाफ प्लेट
नूडल खिलाओगी आंटी तभी चलूँगा तुम्हारे घर “ शंकुतला आखों में अंशु और चेहरे पे
मुस्कान लिए गुड्डू को गले लगाते हुये कहती है ,” प्रॉमिस जितना चाहे उतना नूडल
खाना हम घर पर ही बनाया करेंगे ..
अब मीना शंकुतला के घर का काम करती है , और कहीं नहीं जाती .. साथ ही शकुन्तला
उसे सिलाई का काम सिखा रही है , जिससे वो उसके कपडे के शोरूम में काम कर सके...
गुड्डू उस्ताद अब स्कूल जाता है , लंच बॉक्स में अधिकतर नूडल ही ले कर जाता है और
बडे चाव से खाता है , खुसबू लेता हुआ ...तो दोस्तों ये थी कहानी हाफ प्लेट नूडल ,
जिसमे संघर्ष था हाफ प्लेट नूडल खाने का , कुर्बानी थी सपने की , और एक 8 साल के
बच्चे की मानसिकता थी.. आप भी सपने देखिये , अपने दिल के करीब लोगो के लिए कभी
सपनो का त्याग भी करना पड़ता है , और खाश बात नूडल ज़रूर खाएं ...एक हाफ प्लेट नूडल
आपको स्वर्ग जेसी ख़ुशी दे सकता है , एक हाफ प्लेट नूडल ऑफिस से थके हारे इंसान की
भूख शांत कर सकता है , एक हाफ प्लेट नूडल से आप अपनी महबूबा को खुश कर सकते हैं और
सबसे बड़ी बात एक हाफ प्लेट नूडल आपको आशावादी बना सकता है , केसा लगा मेरा बनाया
हाफ प्लेट नूडल कमेंट ज़रूर करें ..पड़ते रहिये मेरी कहानियां ऐसी ,कहानियाँ जो आपको
जीना सीखाती हैं प्यार करना सीखाती हैं ...
आपका अपना कवि
$andy poet
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