वो देर रात तक उसके मैसेज का इंतज़ार करता रहता
था और जिस रात उसकी सोफी से बात नहीं हो पाती थी उसकी रात आंसुओं मे कटती थी ,धीरे
धीरे उसे एहसास हुआ कि सोफी उसकी ज़िन्दगी का एक एहम हिस्सा बन चुकी है, वो
चाह कर भी उसे भुला नहीं पा रहा रहा था I अगले दिन वैलेंटाइन डे था उसने ठान
लिया की आज रात वो उसे अपनी दिल की बात कह देगा बिना डरे, घडी मे 12
बज
चुके थे, वो डर रहा था की कहीं प्यार का इज़हार करने के बाद उसकी सोफी से
दोस्ती ना टूट जाए ,उसकी दिल की धड़कने तेज़ थी वो सिर्फ और सिर्फ
सोफी से प्यार करता था, उसके इलावा उसने कभी किसी लड़की की तरफ आँख उठा
कर भी नहीं देखा था ..वो रात के सन्नाटे मे धीरे से अपना फ़ोन उठाता है और लिखना
शुरू कर देता है ," सोफी मैं तुम्हारा जिगरी दोस्त ज़हीर
बोल रहा हूँ , मैं तुमसे कई दिनों से कुछ कहना चाह रहा था पर
कह नहीं पा रहा था ,सोफी मैं तुमसे प्यार करने लग गया हूँ, दोस्ती
कब प्यार मैं बदल गयी कुछ पता ही नहीं चला, मैं दिन रात
तुम्हारे बारे मैं सोचता रहता हूँ , हर साँस के साथ बस तुम्हारा ही नाम
लेता हूँ , मैं चाहता हूँ कि तुम हमेशा मेरे साथ रहो कभी
मुझे अकेला छोड़ कर ना जाओ , मेरी आँखों को तुम्हारे मुस्कुराते
चेहरे को देखने की आदत हो चुकी है , मेरे कानों को तुम्हारी हसी सुनने की
लत लग गयी है.. मैं कब इस प्यार के बंधन मैं बंध गया कुछ मालुम ही नहीं. "आई लव यू सोफी " ज़हीर इतना लिखते लिखते ही
सो गया. उसके मोबाइल की बत्ती बुझ गयी और कमरा अँधेरा हो गया ...तभी 1
बजे ज़हीर की आँख खुली उसने अपने मोबाइल की तरफ देखा और सेंट आइटम्स
चेक की.. उसके रोंगटे खड़े हो गए कि ये उसने क्या कर दिया..वो सहम जाता है कि ये उसने नींद मे क्या लिख के भेज दिया सोफी को , सोफी और ज़हीर बहुत अच्छे दोस्त थे मगर
सोफी उसे दोस्त मानती थी सिर्फ और सिर्फ दोस्त.. लेकिन ज़हीर तो प्यार के सागर मे
डूब गया था उसे हर जगह बस सोफी ही दिखाई दे रही थी .. पर अब उसे डर था कि अगर सोफी
उसका भेजा ये सन्देश पड़ेगी तो ज़रूर उनकी दोस्ती टूट सकती है , ज़हीर बस उसके सुन्दर चेहरे को मोबाइल
कि स्क्रीन पर लगे वॉलपेपर पे निहार रहा था .. मानो वो उसे वहीँ दिल का हाल कह रहा
हो.. ज़हीर उठता है , आँखों
पर पानी छिड़कता है , सब
सो चुके थे , कल
वैलेंटाइन डे था , पर
ज़हीर दुबिधा मे फंस चूका था , उसने
कुछ देर सोचा और फिर फ़टाफ़ट दरवाजे की कील
पे लगी कमीज उठाई पेंट पहनी , और
धीरे से सीढ़ियां उतरा ताकि घर के दूसरे सदस्य उठ ना जाए, वो वरांडे से अपनी बाइक उठाता है और
बिना शोर मचाये बाइक को घर से दूर ले जाता है ताकि बाइक स्टार्ट करने का शोर ना
हो.. घर से दूर पहुंचते ही वो रात के सन्नाटे मे , स्ट्रीट लाइट्स की रौशनी मे , चाँद के साये मे बाइक स्टार्ट करता है और सोफी के घर की तरफ रवाना हो
जाता है , सोफी
के घर पहुंचते ही वो उसके कमरे की तरफ देखता है जो पहली मंज़िल पर था , वो चुपके से घर मे घुसता है और मन ही
मन कहता है ," ज़हीर
बेटा अगर किसी ने देख लिया तो पिटेगा बुरी तरह " तभी अचानक से घर की बत्ती
जलती है सोफी के पिता जी निकलते हैं बाहर और सोचालय जा कर वापिस अंदर चले जाते
हैं.. ज़हीर ," बच
गया बेटा ज़हीर चल मंज़िल अभी दूर है " .. वो पाइप के सहारे ऊपर चढ़ जाता है और
खिड़की से होते हुए सोफी के कमरे मे पहुंच जाता है , कमरे मे हलकी गुलाबी रोशनी थी , बेड पर राजकुमारी जैसी दिखने वाली सुन्दर सी सोफी सोयी हुई थी ,उसका चेहरा देख कर ज़हीर कुछ पल वहीँ
खड़ा रहा .. पर फ़ौरन उसे याद आया वो यहाँ क्यों आया था .. वो इधर उधर सोफी का
मोबाइल ढूंढने लगा.. काफी खोजने के बाद उसे उसका मोबाइल नहीं मिला , फिर उसने अपने मोबाइल से एक ब्लेंक
मैसेज उसे भेजा .. उसके तकिये के नीचे से आवाज आई, आवाज सुनकर सोफी जागने ही वाली थी ,पर वो गहरी नींद मे थी .. ज़हीर ने तकिये को धीरे से खिसकाया, सोफी के मुह से निकलते गरम हवा के
झोंके उसके हाथों मे गुदगुदी कर रहे थे... पर किसी तरह ज़हीर ने खुद पर काबू किआ और
मोबाइल से अपना भेजा हुआ ,"
आई लव यू " का मैसेज
डिलीट कर दिया .. जो कि अभी तक सोफी ने नहीं पढ़ा था .. ज़हीर का दिल शांत हो गया ..
उसने मैसेज डिलीट किआ और फटाफट कमरे से निकल कर सीधा घर पहुंच गया और बिस्तर पर आ
कर सो गया.. और अपनी गलती पे हसने लगा....और सो गया.. सुबह हुई आज वैलेंटाइन डे
था.. ज़हीर कॉलेज गया और वहां वही खूबसूरत परिओं जैसी सोफी से उसकी मुलाक़ात हो गयी
.. सोफी के साथ संजना भी थी , संजना
सोफी और ज़हीर की दोस्त थी .. संजना,
ज़हीर और सोफी के बारे मे सब जानती थी . संजना ने ज़हीर की तरफ इशारा
किया ," कि
तूने सोफी को वैलेंटाइन डे बोला ??"
ज़हीर ने अपने होंठो पर ऊँगली रखते हुए उसे चुप रहने को कहा ... सोफी
ज़हीर से पूछती है," ज़हीर
कल रात तुमने मुझे ब्लेंक मैसेज क्यों भेजा था" ज़हीर मुस्कुरा उठता है और मन
ही मन कहता है, " अब
मे तुझसे क्या कहूँ सोफी " संजना उसे बार बार इशारा करती है कि वो सोफी को
प्यार का इज़हार कर दे ,मगर
ज़हीर अपनी इस दोस्ती मे ही खुश था ,
उसे सोफी का साथ चाहिए था चाहे वो दोस्त बन के मिले या प्रेमिका बन
के.. क्यूंकि ज़हीर का प्यार सच्चा प्यार था , जो आजकल बहुत कम् लोग करते हैं ..ज़हीर सोफी और संजना तीनो कॉलेज कि
कैंटीन मे वैलेंटाइन डे सेलिब्रेट करते हैं , और इस तरह आज फिर ज़हीर सोफी को दिल कि बात कह ना पाया .. आज भी हज़ारो
ज़हीर इसी तरह अपने मुह पर ताले लगाए बैठे हैं कि कहीं उनकी सोफी उनसे हमेशा के लिए
नाता ना तोड़ दे.. तो फिर कहानी खत्म हुई ..फिर मिलूंगा एक नयी कहानी के साथ प्यार
भरी दिलचस्प किस्से जो आपको प्यार करना सीखा जाते हैं .. आपका अपना कवि
$andy poet.